बक्सर है सबसे बड़ा धार्मिक स्थल : श्री जीयर स्वामी जी महाराज

संवाददाता – रमेश कुमार
बक्सर, बिहार।
परमानपुर चातुर्मास्य व्रत स्थल पर प्रवास कर रहे भारत के महान मनीषी संत श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान बक्सर की धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बक्सर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। यह वह भूमि है जहां भगवान वामन का जन्म हुआ था।
स्वामी जी ने बताया कि भगवान श्रीमन नारायण के चार प्रमुख अवतारों में दूसरा अवतार वामन के रूप में हुआ और उनका जन्म स्थल बक्सर ही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बक्सर सिर्फ वामन भगवान की ही जन्मभूमि नहीं है, बल्कि श्रीराम, श्रीकृष्ण, माता सीता, गंगा जी और यमुना जी का भी यह मूल जन्म स्थल है।
शास्त्र सम्मत व्याख्या
स्वामी जीयर महाराज ने कहा कि कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि भगवान श्रीराम का जन्म तो अयोध्या में और भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था, तो बक्सर को उनका जन्मस्थान कैसे कहा जा सकता है?
इस पर उन्होंने शास्त्र आधारित तर्क देते हुए समझाया कि जैसे आज भी कोई व्यक्ति अपने गांव से बाहर जाकर जीविका कमाता है और उसके संतान का जन्म अन्य जगह पर होता है, तब भी उस परिवार की मूल जन्मभूमि वही मानी जाती है जहां उनके पूर्वजों का उद्गम हुआ।
इसी आधार पर उन्होंने बक्सर को भगवान राम और श्रीकृष्ण का भी मूल जन्मस्थान बताया।
कश्यप ऋषि से राम और कृष्ण वंश की कड़ी
भगवान श्रीमन नारायण की नाभि से उत्पन्न कमल से ब्रह्मा जी हुए।
ब्रह्मा के पुत्र मरीचि ऋषि और उनके पुत्र कश्यप ऋषि हुए।
कश्यप ऋषि का जन्म स्थान बक्सर है।
कश्यप और अदिति से भगवान वामन का जन्म हुआ।
इसी वंश परंपरा में आगे सूर्य भगवान हुए।
सूर्य भगवान के वंश में राजा इक्ष्वाकु, फिर रघु और आगे चलकर राजा दशरथ का जन्म हुआ। दशरथ के पुत्र श्रीराम हुए। इसलिए राम जी का मूल जन्मस्थान भी बक्सर ही माना जाएगा।
इसी प्रकार सूर्य के वंश परंपरा में यदु राजा हुए और उन्हीं के वंश में आगे चलकर श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। इस तरह कृष्ण जी का भी मूल जन्मस्थान बक्सर ही सिद्ध होता है।
गंगा, यमुना और सीता जी से संबंध
सूर्य भगवान की पुत्री यमुना जी हैं, इसलिए उनका मूल उद्गम स्थल भी बक्सर है।
भगवान वामन के चरण धोकर ब्रह्मा जी के कमंडल में जो जल रखा गया, वही आगे चलकर गंगा जी के रूप में प्रकट हुईं। इसलिए गंगा जी का मूल स्थान भी बक्सर ही है।
सूर्य वंश में राजा नेमी हुए जिनके वंश में आगे चलकर राजा जनक का जन्म हुआ। जनक की पुत्री सीता जी थीं। अतः सीता जी का भी मूल जन्मस्थान बक्सर है।
विश्वामित्र और बक्सर की तपोभूमि
स्वामी जी ने कहा कि बक्सर केवल भगवानों की ही जन्मभूमि नहीं है, बल्कि यह महान तपोभूमि भी है।
यहीं पर महामुनि विश्वामित्र को "महामुनि" की उपाधि प्राप्त हुई।
उन्होंने कहा कि बक्सर ऐसी पवित्र भूमि है जहां देवता, दानव, पशु-पक्षी और जीव-जंतु तक की उत्पत्ति जुड़ी हुई है।
विकास की आवश्यकता
जीयर स्वामी जी ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि आज भी सरकार की उपेक्षा के कारण बक्सर का आधुनिकरण नहीं हो पाया है। इसके बावजूद बक्सर आज भी "तीर्थों का तीर्थ" बना हुआ है, जहां हर पखवाड़े और महीने धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि –
भगवान वामन का भव्य मंदिर बक्सर में बनाया जाए।
गंगा कॉरिडोर का निर्माण हो।
श्रीराम, श्रीकृष्ण, माता सीता, गंगा जी, यमुना जी और महामुनि विश्वामित्र जी के भी भव्य मंदिर स्थापित किए जाएं।
तीर्थ और पर्यटन स्थल के रूप में पहचान
स्वामी जी ने केंद्र, राज्य और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि बक्सर को तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में योगदान दें।
उन्होंने कहा –
"यदि बक्सर को तीर्थ स्थल और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया, तो इससे न केवल बक्सर बल्कि बिहार और भारत की गरिमा और अधिक गौरवान्वित होगी।"
📌 इस प्रकार, श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज के प्रवचन ने एक बार फिर बक्सर की धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को उजागर किया।
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