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तिथि के बढ़ोत्तरी भईल ,

तिथि के बढ़ोत्तरी भईल ,


एह साल के नवरात में ।

दस दिन में नवमी होई ,

अंतिम स्वरूप मात में ।।

नवरात के बा छठा दिन ,

स्कन्द माता पंचम रूप ।

कार्तिकेय मात कहाईले ,

माई पद्मासना रंग अनूप ।।

प्रणाम करिले हमहूॅं माई ,

विद्या बुद्धि संग दीं ज्ञान ।

हमहूॅं बानी छोट सेवक ,

पूरा करीं हमरो अरमान ।।

हमरो बेड़ा पार हो जाई ,

रउआ दे दीं तनी ध्यान ।

बरसाईं हमरो पर किरपा ,

दूर कर दीं हमरो अज्ञान ।।

बच्चा समझ माफ करब ,

रउआ बानीं माई महान ।

अंगुरी पकड़ राह बताईं ,

अरुण दिव्यांश ह नादान ।।

पूर्णतः मौलिक एवं

अप्रकाशित रचना

अरुण दिव्यांश

छपरा ( सारण )

बिहार ।

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