(शारदीय नवरात्र__षष्ठम)
पुरुषार्थ सहज सुफलन,मां कात्यायनी उपासना से
वर्तमान विज्ञान प्रौद्योगिकी युग,
मां दुर्गा षष्ठी छवि पूजन विशेष ।
शोध अनुसंधान दक्षता मैया,
जीवन कृपा दृष्टि अधिशेष ।
जन्म जन्मांतर पाप मुक्ति,
ब्रजमंडल अधिष्ठात्री साधना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन,मां कात्यायनी उपासना से ।।
केहरी आरूढ़ा मात भवानी,
दिव्य आभा चार भुजा धारी ।
दाएं कर अभय वर मुद्रा,
बाएं खड़ग कमल शोभा न्यारी ।
रोग संताप भय मूल विनिष्ट,
मां श्री चरण स्तुति प्रार्थना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन,मां कात्यायनी उपासना से ।।
महर्षि कात्यायन सुता हित,
सौम्य सुशील नामकरण ।
भगवान श्री कृष्ण कुलदेवी,
पराशक्ति आस्था आवरण ।
सुख समृद्धि आनंद अथाह,
मां जगदंबे शक्ति भक्ति कामना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन,मां कात्यायनी उपासना से ।।
महिषासुर मर्दिनी पराम्बा दुर्गे,
नवरात्र महिमा अपरम्पार ।
स्वर्ण भास्वर सम भव्य रूप,
साधक मन आज्ञा चक्र धार ।
जीवन पथ सदा शुभ मंगल,
अमोघ फलदायिनी आराधना से ।
पुरुषार्थ सहज सुफलन,मां कात्यायनी उपासना से ।।
*कुमार महेन्द्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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