दुनिया को शिकायत है मुझसे ,
मुझे किसी से शिकायत नहीं ।
दूर कर ले तू अपनी शिकायत ,
आ गले मिल जा इनायत यही ।।
दूर हो जाऊॅं जीवन में तुमसे ,
कर सकता ये हिमाकत नहीं ।
बरकरार रहे लियाकत तुममें ,
बरकरार हममें लियाकत यही ।।
दूर कर ले दिले दर्द अपना तू ,
मैं भी अपना दर्द ये दूर करूॅं ।
बस जा तू अब मेरे ही दिल में ,
मैं भी कोशिश ये भरपूर करूॅं ।।
बन जा चाॅंद का शीतल चाॅंदनी ,
तो मैं नीचे आधार धरा बनूॅं ।
नहीं तुम बनो मुझसे ही बड़ा ,
नहीं मैं तुझसे कभी बड़ा बनूॅं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )
बिहार ।हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें|
हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें
https://www.youtube.com/divyarashminews
#Divya Rashmi News,
#दिव्य रश्मि न्यूज़
https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com