बिहार की लोक संस्कृति है सुजनी कला

डॉ उषा किरण श्रीवास्तव
सुजनी कला बिहार बज्जिकांचल की एक पारंपरिक कला है,जो विशेष कर मुजफ्फरपुर जिले के भूसरा में वृहत रुप से सुजनी कला पर कार्य किया जाता है।सुजनी कला के लिए। मुजफ्फरपुर की निर्मला देवी को पद्मश्री सम्मान से विभूषित किया गया है।इस कला में कपड़े पर धागे से कढ़ाई की जाती है,जो विभिन्न डिजाइनों और पैटर्नों में विभिन्न रंगों में होती है ।सुजनी कला का उपयोग पहले नवजात शिशुओं को लपेटने के लिए किया जाता था, लेकिन अब यह कला विभिन्न उत्पादों जैसे कुशन कवर,लेटर होल्डर, कुर्ते, साड़ी आदि कोसजाने के लिए उपयोग में लाई जाती है।
सुजनीबिहार की मिट्टी में कला और संस्कृति की सुगंध बसी है। यहाँ की लोक कलाएँ सिर्फ़ रंग और धागों का खेल नहीं, बल्कि सदियों से चली आ रही कहानियों और जीवन के अनुभवों का सजीव चित्रण हैं। इन्हीं में से एक है सुजनी कला, जो अपने धागों से न केवल कपड़े को सजाती है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के जीवन को भी सशक्त बनाती है।
सुजनी का जन्म मुजफ्फरपुर की धरती पर हुआ, जहाँ की माएँ अपने नवजात शिशुओं को ठंड से बचाने के लिए पुरानी साड़ियों और कपड़ों को एक साथ सिलकर एक रजाई बनाती थीं। इस रजाई को "सुजनी" कहा जाता था। समय के साथ, इस रजाई पर रंगीन धागों से कढ़ाई की जाने लगी और यह सिर्फ़ एक ज़रूरत की चीज़ न रहकर एक कला का रूप बन गई। सुजनी कला में प्राकृतिक आकृतियाँ, जैसे फूल, पत्तियाँ, जानवर और पक्षी, बड़ी ही सरलता से दर्शाए जाते हैं। इसमें जीवन, प्रकृति और मानव संबंधों की गहरी समझ झलकती है। सुजनी कला की सबसे बड़ी विशेषता इसका सादगी भरा सौंदर्य है। इसमें इस्तेमाल किए जाने वाले टाँके सरल होते हैं, लेकिन उनसे बनने वाले डिज़ाइन बेहद प्रभावशाली होते हैं। यह कला पीढ़ी-दर-पीढ़ी माओं से बेटियों तक पहुँची, जिससे ग्रामीण महिलाओं को अपनी रचनात्मकता को व्यक्त करने का एक मंच मिला।
आज, सुजनी कला केवल रजाई तक सीमित नहीं है। अब इसे कुशन कवर, साड़ियों, कुर्तो और अन्य आधुनिक उत्पादों पर भी देखा जा सकता है। इस कला ने ग्रामीण महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग खोला है। निर्मला देवी जैसी कलाकारों ने इस कला को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्हें पद्म श्री जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 'सुजनी महिला जीवन फाउंडेशन' जैसी संस्थाओं के प्रयासों से यह कला एक व्यवसाय का रूप ले चुकी है, जिससे कारीगरों को एक स्थिर आय का स्रोत मिल रहा है। सुजनी कला बिहार की मगधीय , बज्जिकाँचल , अंगीकाँचल और मिथिलांचल , भोजाँचल में प्रसिद्ध है ।
बिहार की कला की बात हो और मधुबनी पेंटिंग का ज़िक्र न हो, ऐसा संभव नहीं। मधुबनी, जिसे मिथिला पेंटिंग भी कहते हैं, अपने बोल्ड रंगों और ज्यामितीय पैटर्नों के लिए जानी जाती है। यह कला मुख्य रूप से देवी-देवताओं, धार्मिक अनुष्ठानों और पौराणिक कथाओं पर आधारित होती है।माध्यम और तकनीक: सुजनी कपड़े पर धागों से की जाने वाली कढ़ाई है, जबकि मधुबनी पेंटिंग दीवारों, कैनवास या कागज़ पर प्राकृतिक रंगों से बनाई जाती है। सुजनी में धागों की बनावट एक त्रि-आयामी प्रभाव देती है, जबकि मधुबनी पेंटिंग की रेखाएँ सपाट और स्पष्ट होती हैं।सुजनी का विषय अक्सर सामाजिक संदेशों और प्राकृतिक जीवन से जुड़ा होता है। इसमें आम जीवन की कहानियाँ और घटनाएँ दर्शाई जाती हैं। वहीं, मधुबनी पेंटिंग का मुख्य विषय धार्मिक और पौराणिक कथाएँ, जैसे राम-सीता विवाह, कृष्ण लीला आदि होता है। हालाँकि दोनों कलाओं का उद्देश्य आजीविका प्रदान करना है, सुजनी कला का जन्म एक घरेलू उपयोग की वस्तु से हुआ, जबकि मधुबनी पेंटिंग का उपयोग मुख्य रूप से धार्मिक त्योहारों और शुभ अवसरों पर घरों को सजाने के लिए किया जाता था। सुजनी और मधुबनी दोनों ही बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग हैं। सुजनी अपनी धागों की खामोश भाषा से जीवन के अनुभवों को व्यक्त करती है, तो मधुबनी अपने चटख रंगों से पौराणिक कहानियों को जीवंत करती है। ये दोनों कलाएँ न केवल बिहार के इतिहास को दर्शाती हैं, बल्कि आज भी ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बना रही हैं, जिससे ये केवल कलाकृतियाँ नहीं, बल्कि परिवर्तन की वाहक बन गई है।
इस प्रकार हम पाते हैं कि सुजनी कला ने बज्जिकांचल की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है,जो इस कला के माध्यम से अपनी जिविकोपार्जन कर रही है।सोगरा इस्टेट, पक्कीसराय, मुजफ्फरपुर, बिहार
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com