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खुद में खुद को ज़िन्दा रख

खुद में खुद को ज़िन्दा रख


खुद में खुद को ज़िन्दा रख, मानवता हित आगे बढ़।

मुश्किल बहुत है मन्जिल पाना, सीढ़ी धीरे धीरे चढ़।

बाधाओं से कभी न डरना, नये मार्ग को प्रेरित करती,

बड़े लक्ष्य जीवन के हों तो, छोटी बातों पर मत अड।

सूरज ढलता तम आ जाता, पुनः प्रातः आस जगाता,

जो जीने की आस जगाये, जीवन में उससे मत लड।

सकारात्मक चिंतन अपना, बाधाओं से कैसा डरना,

नकारात्मक सोच त्यागना, चाहे जितनी हो गड़बड़।




डॉ अ कीर्ति वर्द्धन

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