जय महाकाल, त्रिपुरारी भोले
✍️ डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""
जय महाकाल, त्रिपुरारी भोले,
काल भी थर्राए तेरे बोले।
भस्म-लेप तन, गगन निहारी,
जपें तुझे मुनि, योगी, नारी॥१॥
रूप तेरा विकराल महान,
तू ही है कालों का भी जान।
भक्तों का तू संकट-हारी,
देता शिव-शिव मंगल-ध्वनि भारी॥२॥
मृत्युंजय, दयालु महादेव,
त्रिलोक में तेरा ही सेव।
चरणों में तेरे सुख पाते,
भव-सागर से पार लगाते॥३॥
श्मशान तेरा प्रिय निवास,
भूत-गण करते तेरा खास।
नंदी संग डमरू बजता,
हर दिशा में 'शिव' ही गूँजता॥४॥
ॐ नमः शिवाय जब झंकारे,
मन के विकार स्वयं ही हारे।
हर-हर महादेव पुकारे,
तेरी कृपा सब दुख उतारे॥५॥
🙏हर हर महादेव🙏
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