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नवरात के आज तीसर दिन ,

नवरात के आज तीसर दिन ,

तीसर रूप देख लीं माई के ।
तीसर रूप में चंद्रघंटा विराजे ,
भागे प्रेत घंटा ध्वनि पाईके ।।
रउए विख्यात हईं माई दुर्गा ,
अम्बिका भवानी अहाईले ।
नवरातर में त रउए माई ,
नया रूप नौ गो देखाईले ।।
हर देवी रूप रउए विराजीं ,
हर रूप भूमिका निभाईले ।
वीरनो में वीरांगना बनके ,
अझुराईल काम सझुराईले ।।
चंद्रघंटा के रूप में माई ,
युद्धोन्मुखी रउआ बन जाईले ।
विकराल रूप बनाके माई ,
आपन दुलरुआ भक्त बचाईले ।।
जगवा में नाम बड़ा बाटे राउर ,
भक्तन पे बड़ किरपा बरखाईले ।
अरुण दिव्यांश किरपा बरखाईं ,
यश कीर्ति सब रउए फईलाईले ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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