आओ,अब एक चाय हो जाए
उषा किरण संग प्रथम चुस्की,जीवन शैली उत्सविक आधार ।
सहज उत्तम आवभगत माध्य,
सरस निर्वहन परंपरा संस्कार ।
इतराती इठलाती प्रियसी सम,
मस्त अंगड़ाई तन मन भाए ।
आओ,अब एक चाय हो जाए ।।
मृदुल मधुर संवाद सेतु ,
चिंतन मनन भव्यता ओर ।
स्वभाव उष्ण प्रभाव शीत,
हर समस्या समाधान छोर ।
चिंता तनाव त्वरित हरण,
हास्य परिहास उमंग जगाए ।
आओ,अब एक चाय हो जाए ।।
कार्यालय दावत उत्सव बेला,
सदा सुशोभित श्रेष्ठ स्थान ।
नैराश्य सुस्ती समूल दूर ,
परिवेश समरसता आह्वान ।
अतिथि देवो भव मंत्र साध्य,
स्वभाव अंतर सरसता लाए ।
आओ,अब एक चाय हो जाए ।।
हर वय समूह अति चाहना ,
मैत्री रिश्ते सदैव सदाबहार ।
श्रम थकान विश्रांति माध्य,
लक्ष्य साधना ललक अपार ।
नेह प्रस्ताव आदान प्रदान,
मुखमंडल भव्य मुस्कान सजाए ।
आओ,अब एक चाय हो जाए ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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