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रूढ़िवादी मानसिकता एक अभिशाप है

रूढ़िवादी मानसिकता एक अभिशाप है

संजय जैन "बीना"


आज पंजाब मेल बीना से मुंबई की यात्रा के दौरान एक राजस्थान की महिला यात्री से बात चीत में कुछ रूढ़ीवादी जानकारी मिली की कैसे राजस्थान राजवाड़ो का कल्चर है। वैसे जिस महिला से हमारी बात चीत हो रही थी वो उच्च समाज की थी तो पढ़ी लिखी और धनाड़ परिवार से थी। परंतु घर का और समाज का माहौल बिल्कुल ही पुरानी सभ्यता से परिपूर्ण था जिस तरह से वो हमें बता रही थी। सबसे पहले तो घर में पुत्री का जन्म होना ही बहुत बड़ा गुनाह है। घर में पहली संतान तो पुत्र पैदा होना ही शुभ है। जबकि आज के आधुनिक युग में भी राजस्थान हरियाणा जैसे प्रदेशों में इस मानसिकता में कोई भी परिवर्तन नहीं आया है। घर का वातावरण बहुत ही ज्यादा बेटियों के प्रति रुढ़ रहता है। बेटों को पूरी आजादी पर बेटियों पर पाबंदी हर जगह रहती है। भले ही बेटे पढ़े लिखे और समझदार न हो पर घर में उसे श्रेष्ठ सम्मान मिलता है। जबकि लड़की गुणी सुंदर और सुशील धर्म ज्ञान में निपुण घर गृहस्थी में बहुत होशियार आदि... गुणों से भर पूर पर सम्मान शून्य है। जिस महिला से हमारी बात हो रही थी वो अच्छे पढ़े लिखे परिवार से थी और उसका भाई राजस्थान से बहार जाॅब करने आ गया था और उसकी शादी राजस्थान में न होकर दूसरे प्रदेश के उच्च समाज में ही हुई थी। उस महिला का कहना था की हमारा समाज अपने बेटे बेटियों की शादी राजस्थान में नही करते है। क्योंकि राजस्थान एक दम से बहुत ज्यादा रूढ़ीवादी प्रदेश है। तो दो रूढ़ीवादियों का मिलन होने से ज्यादा दिन तक रिश्ते नही निभते ऐसा उस महिला ने बताया था। क्योंकि लड़कियों को राजस्थान में ज्यादा पढ़ने नही देते जहाँ तक की शिक्षा उसी शहर या गाँव में जहाँ तक है वही तक पढ़ सकती है बस। घर में मुँह को ढकाना और मोटे वस्त्र आदि पहनना कुल मिलकर पर्दे में रहना आदि..। राजस्थान की स्त्री पुरुष दोनों ही बहुत रुढ़ीवादि होते है। जिसके कारण घर का वातावरण गर्म रहता है। महिलाएं सिर्फ घर का काम और बच्चे पैदा करे पति की सास सुसर की सेवा करे सबसे पहले सोकर उठे और सबसे बाद में सोये यह दिनचर्या रहती है कुल मिलकर कहे तो दासी बनकर रहना। यह मैंने अपने लेख की थोड़ी सी भूमिका आपने पाठकों के लिए बताई।
अब मूल बातें उस महिला के जीवन शैली जो वो आज जी रही है उसकी बताता हूँ। चुकी उसका भाई दूसरे प्रदेश में जाॅब करता था और शादी भी दूसरे प्रदेश में उसकी हुई थी। चूंकि भाभी पढ़ी लिखी थी तो वो भी जाॅब करती थी क्योंकि मेट्रो सिटी में खर्च अधिक होने और पढ़ी लिखी भाभी घर में तो बैठे नही सकती। इसलिए वो भी जाॅब करती और धन कमाती और खुलकर आधुनिक युग में जिंदगी जीते और मस्त रहते। परंतु भाई राजस्थान का पानी और कल्चर में पढ़ा लिखा तो उस पर अपनी रुढ़ीवादी मानसिकता को पूर्णरूप से समाप्त नही कर पाया जबकि वो इंजिनीयर है। जिसके कारण पति पत्नी में लड़ाई झगड़े आदि हो जाते है। क्योंकि पत्नी तो शांत प्रदेश याने की मध्य प्रदेश की है परंतु पति राजस्थान तो....।
भाभी ने अपनी नन्द को सुयोग्य बनाने के लिए और आत्म निर्भर बनाने के लिए उस राजस्थान से अपने पास बुला लिया जिस के दो कारण एक वह पढ़‌ लिख सकेगी और आत्म निर्भर बन सकेगी। दूसरा हम दोनों में सामंजस्य स्थापित करने मे मदद करेगी और घर में बहिन के होने से भाई असभ्य भाषा का इस्तमाल नही करेगा। जिसके कारण घर का माहौल शांत रहेगा। बहिन पढ़ लिख गई और अच्छा जाॅब भी करने लगी अब उसकी शादी मध्यप्रदेश के ग्वालियार शहर के उच्च जाति के परिवार में हो गई पति मुंबई में मैक्निकल इंजीनियर है और अच्छा वेतन आदि पाता है। लड़की के अनुसार तो उसकी किस्मत खुल गई हर तरह की आजादी उसे मिली हुई थी जिसके कारण वो बहुत ही खुश है ऐसा वो खुद ही बता रही थी। पति एक दम से शांत और मुदुलभाषी मिलनसार और सब की भावनाओं का ख्याल रखता है। जिसके कारण घर का वातावरण स्वर्ग जैसा है जो राजस्थानी लड़की ने कभी सोचा भी नही था। परंतु वो खाटूजी के श्याम जी की भक्ति के कारण अच्छा वर मिल गया। कुल मिलाकर कहें तो मध्यप्रदेश पर राजस्थान का पानी चड़ गया। पत्नी की हर चीज में लड़का मदद कर देता। काम काज में भी मदद कर देता। बच्चे को भी संभल लेता और सच कहें तो रुढ़ीवादी वातावरण से बहुत अलग है मध्य प्रदेश का कल्चर, ऐसा वो महिला सुना रही थी, न ही मुझे पर्दा आदि करना पड़ता है बस अपनी मर्यादाओं का ख्याल रखकर रहना और काम आदि करना है। ये ही सीख हमारे सांस सुसर आदि ने दी है।
हम ही अपने पति पर गुस्सा आदि हो जाती हूँ क्योंकि हमारा पानी और पाली बड़ी राजस्थान में हुई हूँ , तो स्वभाव गर्म है परंतु हमारे पति बहुत ही शांत है जिसके कारण हमारा विवाहिक जीवन अभी तक बचा हुआ है यदि शादी राजस्थानी से हुई होती तो कब के अलग अलग हो गये होते। परंतु पति शांति प्रिये होने से हमारी जिंदगी खुशियो से भरी हुई है। माना की राजस्थान राज्वाड़ो का प्रदेश है और पैसे से बहुत अमीर है परंतु व्यवहारिकता में महिलाओं के प्रति बहुत ही ज्यादा रुढ़ीवादि और गुलामी वाला है जो की गलत है। महिलाओं के प्रति बिल्कुल भी आजादी वाला नही है। उसे सिर्फ दासी का दर्जा ही दिया है बस। जबकि सबसे अच्छा वातावरण मध्यप्रदेश का है और सामाजिक दृष्टिकोण से अतिउत्तम प्रदेश है। बस रोजगार आभाव प्रदेश है पैसे भी राजस्थान जैसा लोगों के पास नही है परंतु कृषि प्रधान प्रदेश है जिसके कारण लोगों में खुशी का माहौल बना रहता है शिक्षा का स्तर भी राजस्थान से बहुत ऊँचा है। कुल मिलाकर कहें तो खुशाल प्रदेश है। और महिलाओं का सम्मान आदि करता है और भारत के मध्य में बसा हुआ है। उस महिला की बातों को ही मैंने अपने लेख में लिखा है। मेरा लेख किसी भी समाज जाति को नीचे दिखाने आदि को नही लिखा है और न ही किसी की भावनाओं को क्षति पहुंचाने को लिखा है। यदि फिर भी किसी की भावनाओं को ठेस लगे तो मैं दिल से क्षमा चाहता हूँ। लेखक का काम है समाज की कुरीतियों को उजागर करके उन्हें समय के अनुसार सुधार करवाना है। पुन: क्षमा चाहता हूँ यदि किसी के भी दिल को ठेस लगा हो।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई

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