"पुस्तकें — स्वप्नों की सीढ़ी"
पंकज शर्माशांत आवरणों में सोई हुई
ज्ञान की अनगिनत नदियाँ बहती हैं,
हर पृष्ठ एक दहलीज़ है
जहाँ से आरम्भ होता है
भीतर की यात्राओं का अनंत क्रम।
कभी प्राचीन गाथाएँ
समय के शिलालेख पर उकेरती हैं
मनुष्य की पहली आकांक्षा,
तो कभी आधुनिक कथाएँ
भविष्य की धड़कनों में
जीवन का संगीत जगाती हैं।
पुस्तकें केवल शब्द नहीं—
वे हैं योजनाओं की रूपरेखाएँ,
वे हैं सफलताओं के मार्गदर्शक,
जहाँ परिश्रम और धैर्य
एक-दूसरे का हाथ थामे
आगे बढ़ते हैं।
ज्ञान की रोशनी
भ्रम और अंधकार को पीछे छोड़ती है,
सत्य की झिलमिलाहट
हर शंका को शांत करती है,
और आत्मा के भीतर
एक स्वच्छ दर्पण खड़ा करती है।
कहानी का हर मोड़
मनुष्य के हृदय में
नव आनंद जगाता है—
पात्रों की साहसी दृष्टि से
पाठक की आत्मा
अपनी ही उड़ान पहचानती है।
धूल से आकाश तक
पुस्तकें बन जाती हैं सीढ़ियाँ,
जहाँ सपने केवल कल्पना नहीं
बल्कि संभावनाओं की उड़ान हैं;
जहाँ आत्मा,
कागज़ और स्याही के पंखों पर
स्वतंत्रता से उड़ना सीखती है।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
✍️ "कमल की कलम से"✍️
(शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
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