"प्रार्थना : आकुलता एवं शान्ति का सेतु"
पंकज शर्मामानव जीवन में अनेक बार परिस्थितियाँ ऐसी आती हैं जब हृदय आकुलता, भय एवं अस्थिरता से भर उठता है। ऐसे समय में प्रार्थना वह अदृश्य शक्ति है, जो मन को भीतर से सहारा देती है एवं उसे शान्ति के तट तक ले जाती है। यह केवल शब्दों का उच्चारण नहीं, बल्कि आत्मा का समर्पण है—एक ऐसा समर्पण जो हमें हमारी सीमाओं से उठाकर अनन्त सत्ता से जोड़ देता है।
प्रार्थना का अभ्यास जीवन को गहनता एवं स्थिरता प्रदान करता है। यह स्मरण कराता है कि हम अकेले नहीं हैं; हमारे भीतर एवं चारों ओर एक विराट शक्ति विद्यमान है, जो हमारे दुःख-सुख की साक्षी है। जब यह बोध दृढ़ होता है तो भय का स्थान विश्वास ले लेता है एवं आकुलता का स्थान शान्ति। इस प्रकार प्रार्थना केवल धार्मिक कर्मकाण्ड नहीं, बल्कि जीवन-संघर्षों में मार्गदर्शक, ऊर्जा-स्रोत एवं आत्मिक संतुलन की साधना है।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
✍️ "कमल की कलम से"✍️ (शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
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