Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करना आवश्यक क्यों?

पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करना आवश्यक क्यों?

आनन्द हठीला

ब्रह्मपुराण के मतानुसार अपने मृत पितृगण के उद्देश्य से पितरों के लिए श्रद्धा पूर्वक किए जाने वाले कर्म विशेष को श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध से ही श्रद्धा कायम रहती है। कृतज्ञता की भावना प्रकट करने के लिए किया हुआ श्राद्ध समस्त प्राणियों में शांतिमयी सद्भावना की लहरें पहुंचाता है। ये लहरें, तरंगें न केवल जीवित को बल्कि मृतक को भी तृप्त करती हैं। श्राद्ध द्वारा मृतात्मा को शांति-सद्गति, मोक्ष मिलने की मान्यता के पीछे यही तथ्य है। इसके अलावा श्राद्धकर्ता को भी विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है। मनुस्मृति में लिखा है।


यद्ददाति विधिवत् सम्यक् श्रद्धासमन्वितैः। तत्तत् पितृणां भवति परत्रानन्तमक्षयम् ।॥ -मनुस्मृति 3:275


अर्थात् मनुष्य श्रद्धावान होकर जो-जो पदार्थ अच्छी तरह विधि पूर्वक पितरों को देता है, वह-वह परलोक में पितरों को अनंत और अक्षय रूप में प्राप्त होता है।


ब्रह्मपुराण में कहा गया है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यमराज सभी पितरों को अपने यहां से छोड़ देते हैं, ताकि वे अपनी संतान से श्राद्ध के निमित्त भोजन ग्रहण कर लें । इस माह में श्राद्ध न करने वालों के पितर अतृप्त उन्हें शाप देकर पितृ लोक को चले जाते हैं। इससे आने वाली पीढ़ियों को भारी कष्ट उठाना पड़ता है। इसे ही पितृदोष कहते हैं। पितृ जन्य समस्त दोषों की शाति के लिए पूर्वजों की मृत्यु तिथि के दिन श्राद्ध कर्म किया जाता है। इसमें ब्राह्मणों को भोजन कराकर तृप्त करने का विधान है। श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को क्या फल मिलता है, इस बारे में गरुड़पुराण में कहा गया है


आयुः पुत्रान् यशः स्वर्ग कीर्ति पुष्टि बलं श्रियम् ।
पशुन् सौख्यं धनं धान्यं प्राप्नुयात् पितृपूजनात् ।


अर्थात् श्राद्ध कर्म करने से संतुष्ट होकर पितृ मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश, मोक्ष, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, पशुधन, सुख, धन और धान्य वृद्धि का आशीष प्रदान करते हैं। यमस्मृति 36.37 में लिखा है कि पिता, दादा और परदादा ये तीनों ही श्राद्ध की ऐसे आशा करते हैं, जैसे वृक्ष पर रहते हुए पक्षी वृक्षों में फल लगने की आशा करते हैं। उन्हें आशा रहती है कि शहद, दूध व खीर से हमारी संतान हमारे लिए श्राद्ध करेगी। देवताओं के लिए जो हव्य और पितरों के लिए जो कव्य दिया जाता है, ये दोनों देवताओं और पितरों को कैसे मिलता है, इसके संबंध में यमराज ने अपनी स्मृति में कहा है -


यावतो ग्रसते ग्रासान् हव्यकव्येषु मन्त्रवित्। तावतो ग्रसते पिण्डानू शरीरे ब्रह्मणः पिता ॥ यमस्मृति 40


अर्थात् मंत्रवेत्ता ब्राह्मण श्राद्ध के अन्न के जितने कौर अपने पेट में डालता है, उन कौरों को श्राद्धकर्ता का पिता ब्राह्मण के शरीर में स्थित होकर पा लेता है।


अथर्ववेद में पितरों तक सामग्री पहुंचाने का अलग ही रास्ता बताया गया है-पितरों के लिए श्राद्ध करने वाला व्यक्ति अलग से आहुति देते समय अग्नि से प्रार्थना करता है।


त्वमग्न इंडितो जातवेदो वाटव्यानि सुरभीणि कृत्वा। प्रादाः पितृभ्यः ।


अथर्ववेद 18.3.42


अर्थात है स्तुत्य अग्निदेव! हमारे पितर जिस योनि में जहां रहते हैं, तू उनको जानने वाला है। हमारा प्रदान किया हुआ स्वधाकृत हव्य सुगंधित बनाकर पितरों को प्रदान करें। महर्षि जाबालि के मतानुसार पितृपक्ष (आश्विन कृष्णपक्ष) में श्राद्ध करने से पुत्र, आयु, आरोग्य, अतुल ऐश्वर्य और अभिलषित वस्तुओं की प्राप्ति होती है।


विष्णुपुराण में लिखा है कि श्रद्धायुक्त होकर श्राद्धकर्म करने से केवल पितृगण ही तृप्त नहीं होते, बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, अश्विनीकुमार, सूर्य, अग्नि, अष्टवसु, वायु, ऋषि, मनुष्य, पशु-पक्षी और सरीसृप आदि समस्त भूत प्राणी तृप्त होते हैं।


ब्रह्मपुराण में कहा गया है जो मनुष्य शाक के द्वारा भी श्रद्धा-भक्ति से श्राद्ध करता है, उसके कुल में कोई भी दुखी नहीं होता। महर्षि सुमन्तु का कहना है कि संसार में श्राद्ध से बढ़कर और कोई दूसरा कल्याणप्रद मार्ग नहीं है।


अतः बुद्धिमान् मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध कर लेना चाहिए। मार्कण्डेयपुराण के मतानुसार जिस देश अथवा कुल में श्राद्ध कर्म नहीं होता, वहां वीर, निरोग तथा शतायु पुरुष उत्पन्न नहीं होते। महाभारत की विदुरनीति में घृतराष्ट्र से विदुरजी ने कहा है कि जो मनुष्य अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध नहीं करता, उसको बुद्धिमान् मनुष्य मूर्ख कहते।

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ