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"देशी मुर्गी विलायती बोल"

"देशी मुर्गी विलायती बोल"

सुरेन्द्र कुमार रंजन

बात प्राचीन समय की है। महेन्द्रनाथ गांव का एक अल्हड़ युवक था। गाँव की पढाई समाप्त करके वह आगे की पढाई के लिए शहर पहुंचा। अपने अध्ययन के दौरान महेन्द्रनाथ को अरबी भाषा पढ़ने की इच्छा हुई। वह अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अरबी भाषा भी सीख गया।

वह बी० ए० की पढ़ाई समाप्त कर अपने गाँव लौट आया। वह परीक्षाफल की प्रतीक्षा करने लगा। वह घर में ज्यादा अरबी भाषा का ही प्रयोग करता था। माँ उसकी भाषा को कुछ-कुछ समझती थी मगर उसके भाई - बहन इस भाषा से अनभिज्ञ थे।

एक बार महेन्द्रनाथ बहुत सख्त बीमार पड़ गया। नौबत यहाँ तक पहुँच गयी कि बिस्तर पर पड़ा-पड़ा ही अपना अधिकतर काम करने लगा। ज्यादा दिन बीमार रहने के कारण वह बहुत ही कमजोर हो गया था। उसमें इतनी भी शक्ति नहीं थी कि उठ कर खड़ा हो सके।
एक रात उसे जोरों की प्यास लगी लेकिन कमजोरी की वजह से अपने खाट के नीचे रखे पानी लेने में वह असमर्थ था। उसके कमरे में ही उसके भाई-बहन भी सोये हुए थे। अपनी आदत के अनुसार उसने अरबी भाषा में ही "आप - आप "कहकर बुदबुदाने लगा।उसके भाई बहन ने सुना तो सोंचे कि कमजोरी की वजह से कोई स्वप्न देख रहा है।इसलिए वे निश्चित होकर सो गए।महेन्द्र‌नाथ "आप-आप" कहते-कहते प्यास से तड़पकर प्राण त्याग दिया।

सुबह जब उसकी माँ बेटे का हाल जानने के लिए कमरे में पहुंची तो बेटे को मृत देखकर दहाड़ मारकर रोने लगी। मां की रोने की आवाज सुनकर भाई-बहन दोनों उठ गए। माँ से रोने का कारण पूछा तो बोली कि तुम्हारा भाई मर गया। क्या रात को उसने तुमलोगों से कुछ माँगा था। माँ की बात सुन भाई-बहन बोले कि भईमा रात को "आप-आप" कहकर कुछ हल्की आवाज में बोल रहे थे तो हमलोगों ने समझा कि वे स्वप्न देख रहे हैं। इसलिए हमलोगों ने उन्हें तंग करना उचित नहीं समझा। इतना सुन माँ रोते हुए कह उठी -

"आप-आप" कह पुता मर गए, खटिए तर था पानी । ऐसा पढ़ला पुता कि अपने सर बिसानी ।"

अरबी भाषा में 'आप' शब्द का अर्थ होता है पानी। कहने का तात्पर्य यह कि वह पानी-पानी कह रहा था लेकिन इसका अर्थ उसके भाई - बहन नहीं समझ सके। खटिए के नीचे पानी रहते हुए भी " देशी मुर्गी विलायती बोल " के कारण ही उसके प्राण चले गए।

इसलिए किसी भी भाषा का प्रयोग उस भाषा के माहौल में ही उपयुक्त होता है। किसी भी भाषा की जानकारी बुरा नहीं होता बल्कि परिवेश के प्रतिकूल उसका प्रयोग घातक होता है। यदि उसके भाई-बहन भी अरबी भाषा जानते तो उसका प्राण बच सकता था। इसलिए परिवेश के अनुकूल ही भाषा का प्रयोग करना चाहिए।

➡️ सुरेन्द्र कुमार रंजन

( स्वरचित एवं अप्रकाशित लघुकथा)
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