Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

हे कालरात्रि कल्याणी,तेरे जैसा जग में कोई नहीं

 (शारदीय नवरात्र __सप्तम)

हे कालरात्रि कल्याणी,तेरे जैसा जग में कोई नहीं 

कुमार महेन्द्र

रूप विकराल रुद्र श्रृंगार,

छटा अद्भुत अनूप मनोहारी ।

सघन तिमिर सम वर्णा दर्शन,

साधक जन अति शुभकारी ।

संपूर्ण ब्रह्मांड सिद्धि वृष्टि,

अनंत खुशियां पटल मही ।

हे कालरात्रि कल्याणी, तेरे जैसा जग में कोई नहीं ।।


महायोगीश्वरी महायोगिनी शुभंकरी,

मां कालरात्रि अन्य नाम ।

रौद्र छवि अप्रतिम झलक,

दानवी शक्ति काम तमाम ।

शुम्भ निशुम्भ रक्त बीज संहार,

देवलोक अग्र पद काज सही ।

हे कालरात्रि कल्याणी, तेरे जैसा जग में कोई नहीं ।।


चार भुजा त्रिनेत्र विशाल ,

कर खड़ग लौह अस्त्र धारी ।

गर्दभारुढा अभय वर मुद्रा,

सदैव भक्तजन हितकारी ।

शत्रु विजय दृढ़ संकल्प पथ,

मां भक्ति शक्ति सदा अपार रही ।

हे कालरात्रि कल्याणी, तेरे जैसा जग में कोई नहीं ।।


नील वर्ण प्रिया माता,

भय रोग संताप हरण ।

भूत प्रेत अकाल मृत्यु,

सहज समाधान श्री चरण ।

महासप्तमी परम साधना,

सुख समृद्धि वैभव वर कही ।

हे कालरात्रि कल्याणी, तेरे जैसा जग में कोई नहीं ।।


*कुमार महेन्द्र*

(स्वरचित मौलिक रचना)

दिनांक 28/09/2025

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ