नानी की याद 🌹भाग - २
डॉ. रवि शंकर मिश्र "राकेश"जब भी थक जाता हूँ
इस दुनिया की दौड़ में,
तेरी गोद याद आती है,
लहर सी दौड़ जाती है, रोम रोम में।
तू नहीं है पास, पर हर धड़कन में बसी है,
तेरी हर बात अब भी
मेरे आँसुओं में फंसी है।
वो तेरा धीरे से सिर सहलाना,
"सब ठीक हो जाएगा बेटा"
ये कहना,
जैसे दुनिया की सारी
परेशानियाँ रुक जाती थीं,
तेरे एक शब्द से यूं ही
जिंदगियाँ मुस्कुराती थीं।
नानी! तू सिर्फ
रिश्तों की डोर नहीं थी,
तू मेरे बचपन की सबसे प्यारी चिराग थी।
तेरे आँचल के साये वाली नींद,
आज तक
मखमली बिस्तर पर भी नहीं आती है।
तेरे हाथों की बनी खिचड़ी में
जो स्वाद था,
वो ना किसी होटल में,
ना किसी रसोई में आता है।
तेरे बिना हर त्यौहार अधूरा लगता है,
हर पूजा में तेरा आशीर्वाद ढूँढता हूँ ।
तेरी लोरी, वो ममता भरी आवाज़,
अब भी रातों में मेरी तन्हाई को
बाँध लेती है पास।
नानी! तू चली गई,
पर दिल से नहीं गई,
तेरी यादों की बारिश में
आज भी भीगता हूँ हर शाम।
काश! एक बार फिर
तेरा आँचल मिल जाए,
तेरे पास बैठकर,
बस चुपचाप रो लिया जाए।
ना कुछ कहूँ, ना कुछ सुनूँ,
बस तुझे देखता रहूँ,
और वो बचपन फिर से जी लूँ।
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