अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि,महागौरी श्री वंदन से
सनातन धर्म दिव्य मनोरमा,
दुर्गाष्टमी पुनीत महापर्व ।
नवरात्र आध्यात्म उजास,
सृष्टि रज रज क्षेत्र सर्व ।
जगदंबें नव रूप अति हर्षित ,
मां श्वेतवर्णी आभा मंथन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि,महागौरी श्री वंदन से ।।
चतुर्भुजा मां शक्ति ऐश्वर्य सह,
सौंदर्य अप्रतिम प्रतिमूर्ति ।
वृषभारूढ़ा शोभित छवि,
शंख चंद्र कुंद उपमा कीर्ति ।
करस्थ भव्य त्रिशुल डमरू,
मुद्रा अभय वर स्पंदन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि,महागौरी श्री वंदन से ।।
उज्ज्वला स्वरूपा मां दुर्गा,
सुख समृद्धि शांति प्रदायक।
चैतन्यमयी त्रैलोक्य मंगला,
सर्व ग्रह दोष मूल निवारक ।
करूणामयी साधना उपासना ,
साधक विमुक्त कष्ट दुःख क्रंदन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि,महागौरी श्री वंदन से ।।
कैलाश वासिनी मृदुला दर्शन,
जीवन उपवन नित सुरभित ।
मोरपंखी मोगरा प्रिया भवानी,
कन्या पूजन विधान निहित ।
हिम श्रृंखला शाकंभरी अवतरण,
देवगण विनय अर्चना मंडन से ।
अलौकिक सिद्धियों की वृष्टि,महागौरी श्री वंदन से ।।
* कुमार महेन्द्र*
(स्वरचित मौलिक रचना)
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