"जिंदगी जीना या काटना – एक प्रश्न"
कभी ठहरकर स्वयं से यह पूछना आवश्यक है – क्या हम सच में जी रहे हैं, या केवल समय काट रहे हैं?
जीना मात्र सांस लेने का नाम नहीं, यह चेतना का विस्तार है। जीवन तभी सार्थक है जब उसमें अनुभव की ताजगी, कृतज्ञता की ऊष्मा और उद्देश्य का प्रकाश हो।
जो व्यक्ति केवल समय बिताता है, वह जीवन के अमृत से वंचित रहता है। लेकिन जो हर क्षण को समर्पण और आनंद से जीता है, वही अस्तित्व की लय को पहचान पाता है।
याद रखिए, समय नदी की तरह बहता है – जो पल बीत गया, वह लौटकर नहीं आएगा। इसलिए हर क्षण को अर्थ दें, जागरूकता से जिएं।
जीवन को टालिए मत, उसे अपनाइए, वरना यह चुपचाप फिसल जाएगी… और हम पछताने के सिवा कुछ न कर पाएंगे।
. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार)
पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com