भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार ध्वज फहराने के नियम
सुरेन्द्र कुमार रंजन
भारत की आन ,बान और शान है राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा । तीन रंगों से निर्मित यह ध्वज पूरे विश्व को एक विशेष संदेश देता है।इसका केसरिया रंग जहां "शक्ति और साहस" का संदेश देता है वहीं सफेद रंग "शांति और सच्चाई" का संदेश देता है। हरा रंग जहां "धरती की उर्वरता, बढ़ोतरी और शुभता" का संदेश देता है वहीं अशोक चक्र "जीवन की गतिशीलता" का संदेश देता है। अशोक चक्र की तिलियाँ भारत के निरंतर प्रगतिशील होने का प्रतीक है।
हर स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है, जो उनकी स्वाधीनता का प्रतीक होता है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा भारत के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिरूप है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा' सिर्फ तीन रंगों का एक कपड़ा नहीं बल्कि यह - हमारी स्वतंत्रता और विविधता में एकता का प्रतीक है। तिरंगा को इसके वर्तमान स्वरूप में भारतीय संविधान सभा की बैठक में 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। इसी कारण हर वर्ष 22 जुलाई को राष्ट्रीय ध्वज दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हमारे देश में तिरंगा फहराने से जुड़े सारे नियम-कायदे "फ्लैग कोड 2002" के तहत आते हैं। ये फ्लैग कोड 26 2002 से लागू हैं। 2002 से पहले तिरंगा फहराने के नियम "एम्बलेम्स एंड नेम्स (प्रिवेन्शन ऑफ इम्प्रॉपर) एक्ट ,1950" और "प्रिवेन्शन ऑफ इंसल्ट्स टू नेशनल ऑनर एक्ट 1971" के तहत आते हैं।
फ्लैग कोड को तीन भाग में बांटा गया है। पहले भाग में तिरंगे से जुड़ी सामान्य जानकारियाँ हैं। दूसरे भाग में आम नागरिक निजी संगठन और संस्थानों में तिरंगा फहराने से जुड़े नियम है और तीसरे भाग में केन्द्र, राज्य सरकार और उनसे जुड़े संगठन - एजेंसियों को तिरंगा फहराने से जुड़े नियम कानून हैं।
"ऐसे मिला आम नागरिकों को तिरंगा फहराने का अधिकार "
आजादी के बाद कई वर्षों तक आम नागरिकों को घर पर तिरंगा फहराने का अधिकार नहीं था। मशहूर उद्योगपति और पूर्व सांसद नवीन जिंदल ने आम नागरिकों को तिरंगा फहराने का अधिकार दिलाया।
अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद जब 1992 में नवीन जिंदल भारत वापस लौटे तो उन्होंने हर दिन अपनी फैक्ट्री में तिरंगा फहराना शुरू कर दिया। इसके बाद प्रशासन ने उन्हें चेतावनी दी तो वे कोर्ट चले गए। बाद में 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि तिरंगा फहराना देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है।
इस फैसले के बाद पी डी शेनॉय के नेतृल में एक कमेटी का गठन किया गया। इस तरह से 2002 में फ्लैग कोड बनी और हर नागरिक को तिरंगा फहराने का अधिकार मिल गया।
तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसका सम्मान करना मौलिक कर्तव्य संविधान के अनुच्छेद 51 क (i) में इसका प्रावधान है। यह अनुच्छेद कहता है कि तिरंगे और राष्ट्रगान का सम्मान करना भारत के हर नागरिक का मौलिक कर्तव्य है।
क्या कागज से बना तिरंगा फहरा सकते हैं?
वैसे तो कागज से बने तिरंगे नहीं बनाए जा सकते हैं। लेकिन स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कागज से बने तिरंगे फहराए जा सकते हैं। लेकिन इसे फेंका या फाड़ा नहीं जा सकता। कागज से बने तिरंगों का सम्मान के साथ डिस्पोजल जरूरी है।
"भारतीय ध्वज संहिता "
भारतीय ध्वज संहिता भारतीय ध्वज को फहराने व प्रयोग करने के बारे में दिए गए निर्देश हैं।इस संहिता का आविर्भाव 26 जनवरी 2002 में हुआ।सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय ध्वज संहिता 2002 में सभी नियमों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है।
2002 से पहले भारतीय ध्वज संहिता
2002 से पहले ध्वज संहिता के अनुसार ध्वज फहराने के नियम इस प्रकार थे : -
1) राष्ट्रीय ध्वज को केवल स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस और अन्य राष्ट्रीय त्योहार जैसे विशेष अवसरों पर ही फहराने की अनुमति थी।
2) सार्वजनिक स्थानों पर झंडा फहराने के लिए सरकार या संबंधित प्राधिकरण से अनुमति लेना आवश्यक था।
3) निजी नागरिकों को अपने घरों या निजी स्थानों पर झंडा फहराने की अनुमति नहीं थी, सिवाय विशेष अवसरों के।
4) झंडे का उपयोग किसी भी प्रकार के विज्ञापन या प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता था और इसे किसी भी प्रकार की पोशाक या वर्दी के रूप में भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था।
भारतीय ध्वज संहिता 2002 के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम : -
1) जब भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए।उसे ऐसी जगह लगाया जाए जहाँ से वह स्पष्ट दिखाई दे।
2) सरकारी भवन पर रविवार और अन्य छुट्टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात में भी फहराया जाता है।
3) ध्वज को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और चीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए।फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि ध्वज बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
4) जब ध्वज किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो ध्वज को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
5) ध्वज का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो ध्वज उनके दाहिने हो।
6) ध्वज किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए।
7) फटा या मैला (गंदा)) ध्वज नहीं फहराया जाता है।
8) ध्वज केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
9) किसी दूसरे ध्वज या पताका को राष्ट्रीय ध्वज से ऊँचा या ऊपर नहीं लगाया जाए और न ही बराबर में रखा जाए।
10) ध्वज पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।
11) जब ध्वज फट जाए या गंदा हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।
30 दिसंबर 2021 को भारतीय ध्वज संहिता 2002 में प्रथम संशोधन किया गया। इस संशोधन के अनुसार हाथ से काते और बुने हुए खादी के झंडों के साथ साथ पॉलिएस्टर ,ऊनी, रेशमी से बने या मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमति दी गई।
22 जुलाई 2022 को भारतीय ध्वज संहिता 2002 में द्वितीय संशोधन किया गया जिसके तहत राष्ट्रीय ध्वज को अब दिन और रात दोनों समय खुले में या नागरिक के घर पर फहराया जा सकता है। इससे पहले इसे केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी। भारतीय ध्वज संहिता 2002 के भाग ll के पैराग्राफ 2.2 के खंड (xi) में संशोधन किया गया जिसमें ध्वज को खुले में या नागरिक के घर पर दिन-रात फहराने की अनुमति प्रदान की गई।
यह संशोधन राष्ट्रीय ध्वज के प्रति लोगों में गर्व और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है और उन्हें अपने घरों पर इसे प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
राष्ट्रीय ध्वज फहराने के कुछ मुख्य नियम इस प्रकार है :-
1) तिरंगे को हमेशा आदर और सम्मान के साथ फहराना चाहिए।
2) तिरंगे को हमेशा सही दिशा में फहराना चाहिए। सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और नीचे हरा रंग होना चाहिए। अशोक चक्र सफेद पट्टी के बीच में होना चाहिए।
3) तिरंगे को सूर्योदय के बाद फहराना चाहिए और सूर्यास्त के पहले उतार लेना चाहिए।
4) तिरंगा फटा हुआ, गंदा या क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए।
5) तिरंगा जमीन को नहीं छूना चाहिए।
6) तिरंगे पर कुछ लिखा हुआ नहीं होना चाहिए।
7) यदि कोई अन्य झंडा फहराया जा रहा है तो वह तिरंगे के नीचे होना चाहिए।
8) तिरंगे को पानी में नहीं डुबोना चाहिए।
9) तिरंगे को ऐसी जगह पर फहराना चाहिए जहाँ सभी को वह दिखाई दे।
15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने में अंतर : -
15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराने में अंतर होता है। 15 अगस्त को ध्वजारोहण (Flag Hoisting) किया जाता है जिसमें झंडा नीचे से ऊपर की ओर ले जाया जाता है जबकि 26 जनवरी को झंडा फहराया (Flag unfurling) जाता है जिसमें झंडा पहले से ही ऊपर बंधा होता है और उसे खींच कर खोला जाता है।
15 का स्वतंतता दिवस : -
1) इस दिन प्रधानमंत्री लाल किले पर ध्वजारोहण करते हैं, जो भारत की ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता का प्रतीक है।
2) झंडा नीचे से ऊपर की ओर ले जाया जाता है और फिर फहराया जाता है।
3)यह दर्शाता है कि भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की है और अब एक स्वतंत्र राष्ट्र है।
26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) : -
1) इस दिन राष्ट्रपति राजपथ पर झंडा फहराते हैं, जो भारत के संविधान को अपनाने का प्रतीक है।
2) झंडा पहले से ऊपर बंधा होता है और उसे खींच कर खोला जाता है।
3) यह दर्शाता है कि भारत अब एक संप्रभु गणराज्य है और अपने संविधान के अनुसार शासित होता है।
क्या गाड़ियों पर लगा सकते हैं तिरंगा ?
तिरंगा फहराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे आप गाड़ी पर लगाकर घूम सकें। फ्लैग कोड के अनुसार सिर्फ संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ही तिरंगा लगाने की इजाजत है।
राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री केन्द्रीय मंत्री, केन्द्रीय राज्य मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, राज्यों के राज्यपाल, केन्द्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, विदेशों में नियुक्त दूतावासों और कार्यालय के अध्यक्ष, राज्य और केन्द्र शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री और उपमंत्री, राज्य की विधान परिषदों के सभापति और उपसभापति, भारत के चीफ जस्टिस, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज अपने वाहन पर तिरंगा लगा सकते हैं।
इसके अलावा अगर किसी विदेशी अतिथि को केन्द्र सरकार की ओर से कार मुहैया कराई जाती है, तो उस कार के दाईं ओर तिरंगा जबकि बाईं ओर उस देश का राष्ट्रीय ध्वज लगेगा।अगर राष्ट्रपति किसी विशेष ट्रेन से यात्रा करते हैं तो जब गाड़ी खड़ी रहेगी तब ड्रायवर के केबिन पर प्लेटफार्म की ओर तिरंगा लगेगा। अगर राष्ट्रपति किसी विमान से यात्रा करते हैं तो उस पर भी राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाएगा। इसी तरह प्रधानमंत्री या उपराष्ट्रपति किसी देश की मात्रा करते हैं तो विमान पर राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाता है।
तिरंगे के अपमान की सजा :-
राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 की धारा 2 में यह प्रावधान है कि किसी भी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे को जलाना, कुचलना, फाड़ना या किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाना अपराध है। तिरंगे के अपमान का अपराध गैर-जमानती हो सकता है, जिसका मतलब है कि जमानत के लिए अदालत में अपील करनी होगी। यह एक संज्ञेय अपराध है जिमका मतलब है कि पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है। तिरंगे के अपमान की सजा भारतीय दंड संहिता के तहत 3 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकती है।
कुछ रोचक तथ्य : -
1) पिंगली वैकैया के योगदान के लिए वर्ष 2009 में मरणोपरांत उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया।
2) 26 जनवरी 2002 को ध्वज संहिता भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता 2002 लाकर इसमें संशोधन किया गया।
3) भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन के बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों ,कार्यालयों और फैक्ट्री में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किमी भी दिन बिना किसी रुकावट के ध्वज फहराने की अनुमति मिल गई।
4) वर्ष 2021 में भारतीय ध्वज संहिता 2002 में प्रथम संशोधन करके पॉलिएस्टर या मशीन से बने ध्वज को अनुमति दी गई। इससे पहले सिर्फ खादी के ध्वज को राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर फहराने की अनुमाने भी।
5) 2022 में दूसरी बार संशोधन किया गया । ध्वज को दिन एवं रात दोनों समय फहराने की अनुमति दी गई। 6) जब राष्ट्रीय ध्वज को फहराया जाता है तो यह सम्मान की स्थिति में होना चाहिए। तिरंगे को उल्टा फहराना अपमान माना जाता है।
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