सुदर्शनचक्रधारी श्री कृष्ण की आवश्यकता अनुभव करता देश
डॉ राकेश कुमार आर्य
जन्माष्टमी पर्व की आप सभी के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं। श्री कृष्ण जी भारतीय सनातन के पुरोधा योद्धा महापुरुष रहे हैं। जिन लोगों ने उन्हें केवल राधा के संग नचाने का कार्य किया है या "छलिया का भेष बनाकर श्याम चूड़ी बेचने आया" या गोपिकाओं के वस्त्र चुराने वाला दिखाया है या माखन चोर दिखाया है, उन्होंने उनके व्यक्तित्व के साथ अन्याय किया है। जिन लोगों ने उन्हें 16108 रानियों का पति बताया है, उन्होंने तो उनके व्यक्तित्व को और भी अधिक कलंकित किया है। हमें अपने उस कृष्ण की आराधना करनी चाहिए , जिन्होंने देशद्रोहियों आतंकवादियों समाजद्रोहियों का विनाश करने में तनिक भी देर नहीं लगाई ।
कल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 15 अगस्त के अवसर पर अर्थात 79 वें स्वाधीनता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए लालकिले की प्राचीर से घोषणा की है कि अब सुदर्शन चक्र बनाने का समय आ गया है। प्रधानमंत्री की घोषणा का कोई ना कोई अर्थ है और अर्थ साफ है कि हमें सुदर्शन चक्रधारी कृष्ण की आवश्यकता है । वेद भक्त, देशभक्त, ईश, समाज भक्त, राष्ट्रभक्त योगेश्वर की आवश्यकता है।
आज हम अपने उसी कृष्ण की जयंती मना रहे हैं, जिसने आतंकवादियों देशद्रोहियों का विनाश करने के लिए बार-बार जन्म लेने की आवश्यकता का उद्घोष किया था। जिसको अपना राष्ट्र नायक स्वीकार करते हुए अनेक क्रांतिकारियों ने देश के क्रांतिकारी आंदोलन में भाग लेकर अपना बलिदान किया था और देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हमें किसी अवतार की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए बल्कि अपने आप यह सोचना चाहिए कि हम राष्ट्र के लिए कृष्ण भक्त होकर कितना कुछ कर पा रहे हैं ? यही उनके प्रति सच्ची निष्ठा होगी। इसी को लेकर यह कविता है :-
गाओ गीत गीता के...
तर्ज : बहारो फूल बरसाओ...
गाओ गीत गीता के, हमें जीना सिखाती है।
योगी राज कृष्ण की हमारे पास थाती है।। टेक ।।
बनाती है ये 'बिस्मिल' को बनाती है 'भगत सिंह' को,
ये 'सावरकर' बनाती है , बनाती है ये 'वल्लभ' को।
बनाती क्रांतिकारी है, कहानी याद आती है...
गाओ गीत गीता के, हमें जीना सिखाती है...
जो मैदानों से भगते हों उन्हें यह रोकती रण में,
हिंसक और अनाचारी को गीता मारती रण में।
जो भी आततायी हैं, उनका नाश कराती है...
गाओ गीत गीता के, हमें जीना सिखाती है...
भक्ति और शक्ति का बनाकर मेल चलती है,
माला और भाला का बनाकर खेल चलती है।
'अर्जुन' जब भी थकता है, उसे संदेश सुनाती है....
गाओ गीत गीता के, हमें जीना सिखाती है...
देश की रक्षा हित जीना और देश के हित मरना,
हथियार पकड़ लो हाथों में मत दूर कहीं भगना।
'राकेश' ये मीरा भी और दुर्गा भी बनाती है...
गाओ गीत गीता के, हमें जीना सिखाती है...
( मेरी पुस्तक 'गीता मेरे गीतों' में से)
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