आर्य समाज बंबावड़ में किया गया जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन :

- आज श्री कृष्ण जी के वास्तविक स्वरूप को स्थापित करना समय की आवश्यकता : डॉ. राकेश कुमार आर्य
दादरी। यहां स्थित ग्राम बंबावड़ आर्य समाज की ओर से जन्माष्टमी के पावन पर्व पर एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया जिसके ब्रह्मा आचार्य प्रभाकर शास्त्री रहे। कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए आर्य समाज के प्रधान शेखर आर्य ने हमें बताया कि इस विशेष यज्ञ के अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य उपस्थित रहे। जिन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि श्रीकृष्ण के वास्तविक चरित्र को स्थापित करना समय की आवश्यकता है । क्योंकि इस समय देश के सामने जितनी समस्याएं खड़ी हैं, उन सब का सामना करने के लिए हमें कृष्ण नीति ही एकमात्र रास्ता दिखाई देती है। श्री आर्य ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि श्री कृष्ण जी ने देश की बिगड़ी हुई व्यवस्था और गिरे हुए राजनीतिक और सामाजिक चरित्र को फिर से स्थापित करने के लिए धर्म की स्थापना करने के उद्देश्य से प्रेरित होकर महाभारत जैसे युद्ध में युद्ध छोड़कर पीठ दिखाकर रथ के पिछले भाग में जा बैठे अर्जुन का मार्गदर्शन किया था। आज की परिस्थितियों में भी हमें ऐसे ही सारथी अर्थात राष्ट्र नायक की आवश्यकता है। हमें इस समय देश के सामने खड़ी समस्याओं के दृष्टिगत उन विदेशी शक्तियों का विरोध करते हुए अपने राष्ट्रवादी नेतृत्व के साथ खड़ा होना चाहिए जो भारत की बढ़ती हुई तरक्की को विनाश करने की योजना बना रही हैं। समय रहते हमें चेतना होगा अन्यथा सनातन विरोधी शक्तियां हमारा विनाश कर डालेंगी।
इस अवसर पर आर्य समाज की सुप्रसिद्ध भजनोपदेशिका श्रीमती अलका आर्या ने भी भजनोदेशन और अपने ओजस्वी उद्बोधन के माध्यम से महिला शक्ति का विशेष मार्गदर्शन किया । उन्होंने कहा कि हमारी बहन बेटियों को अपने सतीत्व और सनातन की रक्षा के लिए विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है। शत्रु हमारा चरित्र भ्रष्ट करने और संस्कृति नष्ट करने के लिए किसी भी प्रकार की हरकत कर सकता है। उन्होंने मातृ शक्ति से अनुरोध किया कि वह अपने बच्चों पर विशेष नजर रखें और उन्हें अपने सनातन मूल्यों के बारे में विशेष जानकारी देने का काम करें। यज्ञ के ब्रह्म रहे आचार्य प्रभाकर शास्त्री द्वारा कार्यक्रम की अध्यक्षता की गई उन्होंने अपने अध्यक्ष संबोधन में कहा कि भारत के वैदिक सिद्धांतों की रक्षा करना हम सब का प्राथमिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति के द्वारा ही संसार को एक समुचित शांतिप्रिय व्यवस्था प्रदान की जा सकती है। यदि हम अपने इस राष्ट्रीय दायित्व में इस समय चूक कर गए तो आने वाली पीढ़ियां हमको कभी माफ नहीं कर पाएंगी।
इस अवसर पर डॉ वीरेंद्र शास्त्री द्वारा भी उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन किया गया और यज्ञ में उपस्थित हुए सभी धर्म प्रेमी सज्जनों को वैदिक साहित्य भी वितरित किया गया। उन्होंने महाभारत के उदाहरण देकर लोगों को समझाया कि किस प्रकार कृष्ण जी वैदिक सिद्धांतों के प्रति समर्पित रहे थे।
इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन लीलू आर्य द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सत्यवीर आर्य, चरण सिंह आर्य, दयानंद सिंह नागर एडवोकेट, राजवीर सिंह नागर एडवोकेट , रामनिवास आर्य, राकेश आर्य ,ईश्वर आर्य ,महाराज सिंह, श्रीमती वाला देवी, श्रीमती मुनेश , श्रीमती दिनेश , श्रीमती राकेश देवी, श्रीमती धनेश देवी, श्रीमती श्यामवती देवी, प्रधान वीरेंद्र सिंह, भूदेव सिंह आर्य,विजेंद्र सिंह आर्य , प्रेम सिंह आर्य आदि आर्यजनों सहित आर्य जगत के विद्वान आचार्य सचिन जी की विशेष उपस्थिति रही।
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