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सुख दुख

सुख दुख

ना सुख में इतराओ।
ना दुख में घबराओ।
जो कर्म है तुम्हारा।
वह कर्म करते जाओ।
तन मन लगा के करना।
कोई कर्म ना बुरा है।
जो कर्म नहीं है करता।
शव सा मरा पड़ा है।
ईश्वर है उपर बैठा।
वो कर्म भाव देखता है।
उससे न कुछ छिपेगा।
वह सब कुछ परखता है।
कर्मफल जो तुझे मिलेगें।
सुख दुख ही उसमें होंगे।
तब तनिक ना घबराना।
सिर्फ धैर्य रखते जाना।
नतमस्तक ही रहना।
सुख पा न अकड़ जाना।
सम भाव जो रहा है।
सुख दुख को जो सहा है।
भगवान की नजरों में।
सफल और उंचा सदा रहा है। 

 जय प्रकाश कुवंर

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