कवि रणविजय श्रीवास्तव के निधन पर श्रद्धांजलि सभा, साहित्य जगत ने दी भावभीनी विदाई

कोलकाता/गया। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘शब्दवीणा’ की पश्चिम बंगाल प्रदेश समिति के प्रदेश संगठन मंत्री एवं वरिष्ठ कवि रणविजय श्रीवास्तव के निधन पर कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज के प्रांगण में एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का संचालन सदीनामा के संपादक वरिष्ठ कवि जीतेन्द्र जीतांशु ने किया, जबकि मंच पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय, शब्दवीणा के प्रदेश अध्यक्ष रामनाथ बेखबर, प्रदेश साहित्य मंत्री ज्ञान प्रकाश पांडेय, राजकुमार सिन्हा एवं हरेंद्र पांडेय उपस्थित रहे।

इस श्रद्धांजलि सभा में शब्दवीणा, सलकिया हिन्दी साहित्य गोष्ठी (हावड़ा), केन्द्रीय सचिवालय हिन्दी परिषद (काचरापारा), शब्द साधना (कोननगर), सदीनामा (कोलकाता), मंजरी सामयिक (कोलकाता), सृजन मंच (हुगली), बंगीय हिन्दी परिषद (कोलकाता) सहित विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं के प्रतिनिधि, कवि, साहित्यकार एवं पत्रकार शामिल हुए। सभी ने श्री श्रीवास्तव के व्यक्तित्व, कृतित्व और स्मृतियों को नमन करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
सभा में साहित्यकारों ने अपने-अपने भाव सुमन अर्पित किए और कवि रणविजय की रचनाओं का पाठ किया।
चंद्रिका प्रसाद पांडेय ‘अनुरागी’ ने अपने गीत “उठे और चुपचाप चल दिये छोड़ अधूरे गीत, मीत दुनिया की यही है रीत” से सभी को भावविभोर कर दिया।
रामाकांत सिन्हा ने “सबको यहाँ से जाना जाना रे, किसका यहाँ ठिकाना रे” सुनाकर जीवन-मृत्यु के सत्य को प्रतिध्वनित किया।
गजेंद्र नाहटा ने कवि की प्रसिद्ध पंक्तियाँ “रौशनी के वास्ते सूरज का किया नहीं इंतजार, जुगनुओं को देख जगमगाना जानता था” पढ़ीं।
डॉ. शाहिद फारोगी ने उन्हें शायरी का शौकीन बताते हुए शेर सुनाया—“खामोशी है चार सू अब, रंग है ना कोई चेहरा, फिर भी खुशबू की तरह महका है सबके दिलों में।”
सभा में वक्ताओं ने कहा कि रणविजय श्रीवास्तव का जाना साहित्य जगत और समाज दोनों के लिए अपूरणीय क्षति है।
प्रदेश सचिव राम पुकार सिंह ने कहा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी, वे सबके लिए प्रेरणा स्रोत रहे।
प्रदेश अध्यक्ष रामनाथ बेखबर ने कहा, “दुनिया में कुछ भी नहीं रहता, बस यादें रह जाती हैं। और ये यादें भी तब तक रहती हैं, जब तक याद करने वाले रहते हैं।”
प्रदेश उपाध्यक्ष हीरालाल साव ने उन्हें शुभचिंतक एवं मार्गदर्शक की संज्ञा दी।
साहित्य मंत्री ज्ञान प्रकाश पांडेय ने उनके निधन को अविश्वसनीय बताते हुए उनके सादगीपूर्ण जीवन का उल्लेख किया।
पत्रकारों, साहित्यकारों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने रणविजय श्रीवास्तव को हंसमुख, जिंदादिल, सहयोगी एवं मित्रवत व्यक्तित्व का धनी बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने उन्हें एक सच्चा समाजसेवी और संवेदनशील कवि बताया। उन्होंने श्रद्धांजलि सभा के सफल आयोजन में योगदान देने वाले सभी संस्थाओं, रचनाकारों, छात्रों और कर्मचारियों के प्रति आभार जताया।
श्रद्धांजलि सभा के अंत में सभी उपस्थित जनों ने दो मिनट का मौन रखकर कवि रणविजय श्रीवास्तव को अंतिम नमन किया।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com