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यहां धर्म निभाने आया है...

यहां धर्म निभाने आया है...

डॉ राकेश कुमार आर्य

जीवन के सुंदर उपवन में , वेदों के फूल चुना करना।
गीत प्रभु के गाकर के जीवन को धन्य किया करना।।

हर इंद्री ऋषि बना करके जीवन को सुगंधित कर लेना।
संसार को छोड़ने से पहले , परमेश से प्रेम बढ़ा लेना।।
ये जीवन धर्म कमाने को कभी पाप मार्ग पर ना बढ़ना....
गीत प्रभु के गाकर के जीवन को धन्य किया करना।। 1 ।।

होठों पर प्रभु का नाम रहे, हृदय में उसी का वास रहे।
उसकी ही तड़प उसकी ही आश यश और कीर्ति पास रहे ।।
भक्ति की डोर पकड़ लेना, आनंद उसी में किया करना .....
गीत प्रभु के गाकर के जीवन को धन्य किया करना।।2।।

जीवन की उलझन में तुझको आनंद की अनुभूति होवे।
गहन निशा में भी तुझको, दिखता प्रकाश निकट होवे।।
तुझे कभी नहीं घबराना है, तू धीर - वीर बनकर चलना ....
गीत प्रभु के गाकर के जीवन को धन्य किया करना।। 3 ।।

यहां धर्म निभाने आया है , तू कर्तव्य मार्ग का राही है।
मेला सिमटता है सबका नहीं कोई किसी का साथी है।।
'राकेश' वेद की आज्ञा का तू चित्त में ध्यान किया करना ....
गीत प्रभु के गाकर के जीवन को धन्य किया करना।।4।।

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