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इतिहास, प्रकृति और रोमांच का संगम है राजगीर

इतिहास, प्रकृति और रोमांच का संगम है राजगीर

प्रवीण कुमार पाठक , प्रशिक्षण पदाधिकारी
बिहार के नालंदा ज़िले में स्थित राजगीर, एक ऐसा स्थान है जहाँ इतिहास, धर्म और प्रकृति का एक खूबसूरत मेल देखने को मिलता है। यह सिर्फ एक पर्यटन स्थल ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक केंद्र भी है जहाँ भगवान बुद्ध और महावीर ने अपने उपदेश दिए थे। यह पवित्र भूमि कई कहानियों को अपने अंदर समेटे हुए है। हाल ही में, मुझे अपने परिवार के साथ इस अद्भुत जगह की यात्रा करने का अवसर मिला, और यह अनुभव हम सभी के लिए एक अविस्मरणीय रहा।नहमारी यात्रा 15 अगस्त को जहानाबाद से शुरू हुई। 16 अगस्त की दोपहर हम जहानाबाद से इस्लामपुर होते हुए राजगीर के लिए निकले। लगभग 70 किलोमीटर की यह यात्रा बहुत सुखद थी। गाड़ी की खिड़की से बाहर हरे-भरे खेत, छोटे-छोटे गाँव और बाज़ार का नज़ारा मन को सुकून दे रहा था। बच्चे भी रास्ते भर गाते-गुनगुनाते और एक-दूसरे के साथ खेलते रहे। शाम 5 बजे तक हम राजगीर पहुँच गए, जहाँ की हरियाली और शांति ने हमारा स्वागत किया।
राजगीर पहुँचने के बाद हमने एक साफ़-सुथरे होटल में चेक इन किया। शाम को हम सबने प्रसिद्ध गर्म कुंड का दौरा किया। यह प्राकृतिक कुंड अपनी आस्था के लिए जाना जाता है, जहाँ का पानी साल भर गर्म रहता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं। बच्चों ने पानी की गर्मी का अनुभव कर बहुत मज़ा लिया। कुंड के बाद, हम लोगों ने पास में ही बने भव्य गुरुद्वारा का भ्रमण किया। यह गुरुद्वारा अपने सफेद संगमरमर की भव्यता और शांत वातावरण से मन मोह लेता है। यहाँ की शांति ने हमें कुछ देर के लिए दुनिया की भागदौड़ से दूर कर दिया।
अगले दिन, 17 अगस्त को, हम बच्चों के साथ आगे की यात्रा के लिए तैयार थे। उनका उत्साह देखते ही बन रहा था, क्योंकि आज हम टमटम और रोप-वे की रोमांचक यात्रा करने वाले थे। बच्चों के कहने पर हमने घोड़े से खींची जाने वाली गाड़ी, टमटम की सवारी का आनंद लिया, जो पूरे बिहार में अब सिर्फ राजगीर में ही उपलब्ध है। टमटम से हम रोप-वे केंद्र पहुँचे। यहाँ से हमें पहाड़ पर स्थित विश्व शांति स्तूप तक जाना था। 120 रुपये प्रति व्यक्ति का टिकट लेकर हम रोप-वे पर बैठे। हवा में लटकती छोटी सी ट्रॉली में बैठकर नीचे दिखती हरी-भरी वादियों का नज़ारा अविश्वसनीय था। 10 मिनट में हम विश्व शांति स्तूप तक पहुँच गए। चारों ओर की हरी-भरी पहाड़ियाँ और वादियाँ देखकर मन प्रसन्न हो गया। वहाँ पर बने पुराने विश्व शांति स्तूप और पास के बौद्ध मंदिर की शांति ने हमें मंत्रमुग्ध कर दिया।
विश्व शांति स्तूप से लौटने के बाद, हमने बिहार का पारंपरिक व्यंजन लिट्टी-चोखा खाया, जो बहुत ही स्वादिष्ट था। इसके बाद हम जू सफारी के लिए निकले। बिहार सरकार द्वारा 2022 में बनाया गया यह सफारी पार्क बहुत ही आकर्षक है। 250 रुपये प्रति व्यक्ति का टिकट लेकर हमने इसमें प्रवेश किया। एक वातानुकूलित मेटाडोर में बैठकर हमने 2 घंटे तक जंगल का भ्रमण किया, जहाँ हमने अपनी आँखों से शेर, बाघ, भालू, चीता, हिरण और कई तरह के पक्षियों को उनके प्राकृतिक आवास में देखा। यह अनुभव हम सभी के लिए बहुत यादगार रहा।
शाम 4 बजे तक हमारी यात्रा का यह हिस्सा समाप्त हो चुका था और हमें औरंगाबाद लौटना था। समय की कमी के कारण हम पावापुरी मंदिर, नेचर सफारी और नालंदा विश्वविद्यालय जैसी कई जगहें नहीं देख पाए। बच्चों ने कहा कि अगली बार हम सर्दियों में आएंगे और उन सभी जगहों को देखेंगे जो इस बार छूट गईं। इस यात्रा ने हमें प्रकृति, इतिहास और धर्म के करीब ला दिया। यह अनुभव हमारे दिल में हमेशा के लिए रहेगा।अगर आप भी राजगीर घूमने की योजना बना रहे हैं, तो इन जगहों को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें:विश्व शांति स्तूप: रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित एक भव्य सफेद स्तूप है, जहाँ रोप-वे से पहुँचा जा सकता है।गर्म कुंड (ब्रह्मकुंड): यह एक प्राचीन कुंड है जहाँ पहाड़ के अंदर से गर्म पानी निकलता है।जू सफारी और नेचर सफारी: यहाँ आप वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं और शीशे के पुल जैसे नए आकर्षणों का मज़ा ले सकते हैं।घोड़ा कटोरा झील: यह एक सुंदर प्राकृतिक झील है जहाँ बुद्ध की विशाल प्रतिमा स्थापित है।नालंदा विश्वविद्यालय: यह दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालयों में से एक है और राजगीर से लगभग 12 किलोमीटर दूर है।राजगीर की यात्रा के लिए तीन से चार दिन का समय पर्याप्त होगा, ताकि आप सभी महत्वपूर्ण स्थलों का आराम से भ्रमण कर सकें। यह यात्रा आपको न केवल मनोरंजन देगी, बल्कि इतिहास और आध्यात्म से भी जोड़ेगी।
जीविका , बी आर एल पी एस डी पी एस औरंगाबाद , बिहार
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