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भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा ने महंत शतानंद गिरी की प्रतिमा स्थापित करने की उठाई मांग

भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा ने महंत शतानंद गिरी की प्रतिमा स्थापित करने की उठाई मांग


पटना/गया :
बिहार की पावन धरती पर शिक्षा व दर्शन की अमर परंपरा को आगे बढ़ाने वाले बोधगया मठाधीश्वर महंत शतानंद गिरी जी महाराज की स्मृति में अब विश्वविद्यालय प्रांगण में आदमकद प्रतिमा स्थापित करने की मांग तेज हो गई है।
ज्ञात हो कि महंत शतानंद गिरी जी ने उस दौर में, जब गया जिला शिक्षा के मामले में अति पिछड़ा माना जाता था, मगध विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु बोधगया मठ की सैकड़ों एकड़ भूमि दान में दी थी। यह केवल भूमि दान नहीं था, बल्कि शिक्षा-दीप प्रज्वलन का एक ऐसा संकल्प था जिसने आज हजारों विद्यार्थियों का जीवन आलोकित किया है।
लेकिन खेद की बात है कि इतने बड़े त्याग और योगदान के बावजूद आज तक किसी भी सरकार ने विश्वविद्यालय प्रांगण में उनकी प्रतिमा स्थापित करने की पहल नहीं की।
अब जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर में ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों को नया गौरव प्रदान कर रहे हैं, उसी क्रम में भारतीय राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा एवं कौटिल्य मंच से जुड़े लोगों ने महंत शतानंद गिरी जी की प्रतिमा स्थापना की मांग उठाई है।
इस अवसर पर महासभा एवं मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विवेकानंद मिश्र ने कहा –

“स्वामी शतानंद गिरी जी का त्याग बिहार की आत्मा का प्रकाश है। उनकी प्रतिमा केवल मूर्ति नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का अमर स्रोत होगी।”

वहीं आचार्य राधा मोहन मिश्र और आचार्य सचिदानंद मिश्र ने कहा –

“जिस युग में शिक्षा का दीप बुझता दिख रहा था, उस युग में उन्होंने विद्या की गंगा प्रवाहित की। यदि आज उनकी प्रतिमा विश्वविद्यालय में स्थापित होती है, तो यह आने वाली पीढ़ियों के लिए त्याग और लोकमंगल की यादगार बनेगी।”

इस मांग का समर्थन समाज के अनेक वर्गों व प्रबुद्धजनों ने किया है, जिनमें आचार्य वल्लभ जी महाराज, स्वामी सत्यानंद गिरी, प्रो. के.के. नारायण, डॉ. बी.एन. पांडे, प्रो. गीता देवी, प्रो. संगीता लक्ष्मी, समाजसेवी, वकील और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े असंख्य लोग शामिल हैं।

समाज का मानना है कि महंत शतानंद गिरी जी की प्रतिमा केवल एक स्मारक न होकर बिहार की शैक्षिक चेतना का ध्वज, भविष्य का पथ-प्रदर्शक और त्यागमयी परंपरा का शाश्वत प्रतीक होगी।

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