रेशम की डोर, स्नेह प्रेम की भोर
अंतःकरण अनंत आह्लाद,मनोरम उत्सविक परिवेश ।
शुभ मंगल सरित प्रवाह,
बहन बेटी घर द्वार प्रवेश ।
अभिवंदित पावन संस्कार,
संबंध पट अपनत्व सराबोर ।
रेशम की डोर,स्नेह प्रेम की भोर ।।
सनातन संस्कृति पटल,
मनहर परंपराएं शोभित ।
आत्मीयता शीर्ष स्पंदन,
रक्षा संकल्प भाव रोहित ।
परम आनंद अप्रतिम बेला,
हर्ष उमंग खुशियां चारों ओर ।
रेशम की डोर,स्नेह प्रेम की भोर ।।
भगिनी हृदय प्रस्फुटित,
भ्राता हित मंगल कामनाएं ।
सुख समृद्धि आरोग्य सेतु,
प्रति पल घट स्तुत भावनाएं ।
दृढ़ संकल्पित राह सहोदर,
प्रतिज्ञा रक्षा वचन निर्वहन छोर ।
रेशम की डोर,स्नेह प्रेम की भोर ।।
रक्षा बंधन पर्व अद्भुत अनुपम,
अंतर नारी सशक्ति सम्मान संदेश ।
देव लोक भी अति पुलकित,
दर्शन कर अथाह प्रीत धरा देश ।
बांध राखी शहीद मूर्तियों पर,
बहनें हर्षित गर्वित भाव विभोर ।
रेशम की डोर,स्नेह प्रेम की भोर ।।
कुमार महेंद्र(स्वरचित मौलिक रचना)
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