शब्दवीणा की साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में कवि सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र की ओजमयी रचनाएँ सुन दर्शक हुए मंत्रमुग्ध

- चारों तरफ अमन मांगा था, मैंने कहाँ गगन मांगा था
- जल की बूंदें मिल कर बनतीं तेज नदी की धार, मान कभी ना हार
गया जी। राष्ट्रीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था शब्दवीणा द्वारा प्रत्येक रविवार को आयोजित होने वाली साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" में गत रविवार आमंंत्रित साहित्यकार के रूप में जिला हिन्दी साहित्य सम्मेलन गयाजी के सभापति वरिष्ठ कवि सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र रहे। श्री सुरेन्द्र ने कार्यक्रम में एक से बढ़कर ओजमयी रचनाएँ पढ़ीं। साथ ही, शब्दवीणा की राष्ट्रीय साहित्य मंत्री एवं वार्ताकार वंदना चौधरी द्वारा हिन्दी साहित्य के अतीत, वर्तमान एवं भविष्य पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर में श्री सुरेन्द्र ने अपने विचार रखे। उन्होंने वर्तमान समय में लिखी जा रही साहित्यिक रचनाओं के स्तर, भाव, विचार तथा शैली में देखी जा रही गिरावट पर भी अपनी चिंता जतायी। एक अच्छे लेखक के गुणों पर प्रकाश डालते हुए श्री सुरेन्द्र ने कहा कि उत्कृष्ट लेखन हेतु पारखी तथा सकारात्मक दृष्टिकोण का होना अति आवश्यक है। एक रचनाकार के भीतर देशभक्ति एवं समाज सेवा का भाव होना चाहिए।
कवि सुरेन्द्र ने भाव को कविता की आत्मा बताते हुए रचना में अलंकारों के प्रयोग के महत्व पर अपने विचार रखे। छायावाद के चार स्तंभों में से एक सूर्यकांत त्रिपाठी निराला एवं सुदामा पाण्डेय धूमिल की प्रेरक कविताओं का संदर्भ लाते हुए श्री सुरेन्द्र ने कहा कि साहित्यिक रचनाओं में समाज में फैली अराजकता, रुढ़िवादिता, बुराइयों एवं विसंगतियों के विरुद्ध प्रतिकार का स्वर अनिवार्य रूप से होना चाहिए, ताकि समाज से लुप्त होते जा रहे मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठापना की जा सके। श्री सुरेन्द्र ने समाज में उपस्थित भेदभावपूर्ण नीतियों, जातिप्रथा, रुढ़िवादी मानसिकता, भ्रष्टाचार एवं राजनीतिक दाँवपेंच पर कुठाराघात करती हुई ओजस्वी रचनाएँ पढ़ीं। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शब्दवीणा केन्द्रीय पेज से किया गया, जिससे जुड़कर डॉ रश्मि प्रियदर्शनी, कौशल किशोर त्रिवेदी, महावीर सिंह वीर, अनंग पाल सिंह भदौरिया, पप्पू तरुण, राम नाथ बेखबर, डॉ राम सिंहासन सिंह, सुमंत कुमार, सहज कुमार, सरोज कुमार, प्रो सुबोध कुमार झा, डॉ रवि प्रकाश, पी. के. मोहन, फतेहपाल सिंह सारंग, आर के निगम, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, अजय कुमार, आशा साहनी, अनिल कुमार, दीपक कुमार, सुरेश गुप्ता सहित अनेक साहित्यानुरागियों ने इस अविस्मरणीय साहित्यिक भेंटवार्ता का आनंद उठाया।
कवि सुरेन्द्र सिंह सुरेन्द्र की रचना "हों फूलों से प्यारे बच्चे...हों सारे नर-नारी सच्चे...चारों तरफ अमन मांगा था, मैंने कहाँ गगन मांगा था", "जल की बूंदें मिल कर बनतीं तेज नदी की धार, मान कभी ना हार", "सारी दुनिया से सुंदर लगे ये चमन, ये हमारा वतन है हमारा वतन" पर दर्शकों की खूब वाहवाहियाँ मिलीं। शब्दवीणा की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रश्मि प्रियदर्शनी ने बतलाया कि शब्दवीणा की साप्ताहिक साहित्यिक भेंटवार्ता "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" को दर्शकों एवं श्रोताओं की खूब सराहना मिल रही है। कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रदेशों के जाने-माने साहित्यकारों, पत्रकारों, सामाजिक एवं सांस्कृतिक हस्ताक्षरों को आमंंत्रित किया जा रहा है और उनके जीवन के कार्यानुभव, भाव एवं विचारों से लोग लाभान्वित हो रहे हैं। "सत्यम् शिवम् सुंदरम्" के पूर्व के अंकों में आचार्य ओम नीरव, महावीर सिंह वीर, पुरुषोत्तम तिवारी, कुमार कांत, डॉ राम सिंहासन सिंह, डॉ राम कृष्ण मिश्र, अरविंद पथिक, डॉ आशा मेहर किरण, अभिनंदन गुप्ता जैसी प्रख्यात हस्तियाँ अपनी रचनाओं एवं भाव-विचारों से दर्शकों का हृदय जीत चुकी हैं।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com