भीगना बारिश में और आकर लिपटना,
धूप में भी सिर पर आँचल और पसीना।देखकर तिरछी नजर, मंद मंद मुस्काना,
पल जिये जो साथ तेरे, सब हैं धरोहर।
गंगा तट पर बैठकर, कल-कल सुनना,
हाथ में हाथ लें, उपवन में थिरकना।
तन्हां पलों में कुछ सुनहरे ख़्वाब बुनना
कैसे भूलें उन पलों को, जो हैं धरोहर।
चाँदनी में तन्हा जब चाँद का निहरना,
बादलों के बीच तुम्हारी ही कल्पना।
आँखों की गहराई में डूबना और उतरना
भूले बिसरे पल सभी, मेरी हैं धरोहर।
डॉ अ कीर्ति वर्द्धन
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com