Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

सावन की शिक्षा

सावन की शिक्षा

सावन की थी प्रतीक्षा ,
सुन सावन की शिक्षा ।
लो सावन से ये दीक्षा ,
कर सावन की समीक्षा ।।
सावन ने दिया जीवन ,
ग्रीष्म में जो बेदम हुए ।
सूख रहीं वृक्ष पत्तियाॅं ,
वही वृक्ष अब‌ नम हुए ।।
कृषक हुए बहुत हर्षित ,
धान का‌ रोप चल रहा ।
बाबा भोले महीमा भई ,
कृषक जिससे पल रहा ।।
अपने हेतु जीए तो क्या ,
अपने हेतु जीते पशुपक्षी ।
क्यों न वृक्ष जीवन देते ,
विपरीत बने हो वृक्षभक्षी ।।
सावन ने हरियाली दिया ,
दे दो वृक्ष को तुम जीवन ।
वह भी तेरा उपकार करेगा ,
दीर्घ करेगा तेरा नवजीवन ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ