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मस्त मलंग सावन बहार

मस्त मलंग सावन बहार

अंग प्रत्यंग नव यौवन,
अंतःकरण उमंग लहर ।
संवाद अंतर माधुर्य,
सर्वत्र खुशियां महर ।
बारिश बूंदें प्रेयसी सम,
रग रग नेह अनंत फुहार ।
मस्त मलंग सावन बहार ।।


रिमझिम मधुर स्वराई,
जीवन उत्सविक अनुपमा ।
धरा हरित श्रृंगार मनोरम,
दुल्हन सा प्रणय रमा ।
रज रज तरुणाई अरुणाई ,
तृषा स्पर्शित तृप्ति आगार ।
मस्त मलंग सावन बहार ।।


व्यवहार पटल अल्हड़ता,
मित्रों संग हास्य विनोद ।
दामिनी उग्र अठखेलियां,
मेघ स्वर जीवन प्रमोद ।
सुख समृद्धि वर वृष्टि,
विमुक्ति दुःख कष्ट आधार ।
मस्त मलंग सावन बहार ।।


अति सुरभित वन उपवन,
प्रकृति आंचल अनुपम ।
गगन आभा मोहक सोहक,
जलद घटा आरेख उत्तम ।
तन मन पुनीत पावन,
परिवेश उत्संग राग मल्हार ।
मस्त मलंग सावन बहार ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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