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खुद से हारा हूँ तो..

खुद से हारा हूँ तो..

जो इंसान खुदसे हारा हो
वो औरों से क्या जीतेगा।
जिसे खुद पर नही भरोसा
वो औरों का दिल कैसे जीतेगा।
दिखावा जितना चाहे कर ले
पर अंदर से डरपोक होता है।
इसलिए मैं सबसे कहता हूँ
जरा तुम कम बोला करो।।


घर में बनकर ये शेरखा
खिल्ली दुसरो की उड़ाते है।
पर घर के बाहर निकलते ही
ये महासय चूहा बन जाते है।
दो शब्द भी ठीक से तब
ये बोल नही पाते है।
फिर भी खुदको ये शेरखा
बुलबाना पसंद करते है।।


कमाल के बहुत सारे किस्से है।
पर उपलब्धियाँ कुछ भी नही है।
हिम्मत की तो बात ही मत पूछो।
जो चार दीवारों के अंदर दिखती है।।


जुगलबंदी और नकालबंदी का दौर है।
अकल से भले ही शेखचिल्ली हो।
पर आदयें और आदते राजा जैसे है।
इसलिए बिना सोचे समझे कार्य करते है।
यही मानव जीवन की सच्चाई है।।


जय जिनेंद्र
संजय जैन "बीना" मुंबई
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