अफसोस
जय प्रकाश कुवंरचिंता फिकिर ना रहे,
दिल बरियार रहे।
अब कवना मोड़ पर,
ले अइलस इ जिनिगी।।
शांति खोजले मिलत नइखे,
मन स्थिर होत नइखे।
काहे अइसन दिनवा,
दिखवलस इ जिनिगी।।
थोड़े सा में सुखी रहनी,
कबहूँ ना बेसी चहनी।
सादा रोटी खाईं जबो,
मन ना छाछाइल कबो,
हरदम खुशी से,
फूलाइल रहल जिनिगी ।।
जइसे जइसे धन बढ़ल,
ओइसे ओइसे मन बढ़ल।
राजा बने नाहीं पवनी,
रंक भी ना रह गइनी।
चिरई नियर शांति,
फुर्र भइल हमार जिनिगी।।
पइसा खातिर सब मरेला,
शांति केहू ना चाहेला।
शांति ना मिलल त कैसे,
पैसा ढोई जिनिगी।।
लोग का बुझात नइखे,
पैसा के हाय जात नइखे।
सब छोड़ एही जागा,
चल जाई जिनिगी।।
शांति खोजले मिलत नइखे,
मन स्थिर होत नइखे।
काहे अइसन दिनवा,
दिखवलस इ जिनिगी।।
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