सत्येन्द्र और डॉ. उषाकिरण को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान 2025 से नवाजा गया

बालाघाट (मध्य प्रदेश), मुंबई (महाराष्ट्र) और मुजफ्फरपुर (बिहार) । : साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए प्रख्यात साहित्यकार एवं इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक को 2025 में दो प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया है। इसी के साथ, मुजफ्फरपुर की जानी-मानी लेखिका डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव को भी 'डॉ. तारा सिंह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान 2025' से सम्मानित किया गया है। इन सम्मानों ने साहित्य जगत में उनके दशकों के अथक परिश्रम और अतुलनीय योगदान को रेखांकित किया है।
सत्येन्द्र कुमार पाठक: साहित्य और इतिहास के द्वय-मनीषी को दोहरी पहचान
बिहार के अरवल जिले के करपी और जहानाबाद निवासी सत्येन्द्र कुमार पाठक को 2025 में दो बड़े सम्मान मिले हैं, जो उनके बहुआयामी व्यक्तित्व और गहन शोध को दर्शाते हैं: 'साहित्य शिरोमणि' मानद उपाधि 2025: यह प्रतिष्ठित उपाधि उन्हें मध्य प्रदेश की श्रीनामदेव सेवा समिति ने 23 जुलाई को बालाघाट में प्रदान की। यह समारोह संत शिरोमणि श्रीनामदेव जी महाराज के 675वें संजीवन समाधि दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। श्री पाठक को यह सम्मान साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में उनके दशकों के अथक परिश्रम, गहन शोध और अतुलनीय योगदान के लिए दिया गया। उनकी कृतियाँ न केवल ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करती हैं, बल्कि समाज और संस्कृति पर भी गहरा प्रकाश डालती हैं। इस सम्मान पर देशभर के साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने उन्हें हार्दिक बधाई दी, जिनमें डॉ. त्रिलोकी चंद फतेहपुरी, डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव, डॉ. हरिओम शर्मा, पद्मकांत शर्मा प्रभात, हिमांशु शेखर, डॉ. दिव्या स्मृति और प्रमोद नारायण मिश्र जैसे गणमान्य व्यक्ति शामिल हैं।

'डॉ. तारा सिंह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान 2025': हिंदी साहित्य और इतिहास के क्षेत्र में अपनी अतुलनीय सेवाओं के लिए पाठक जी को मुंबई की स्वर्गविभा संस्था द्वारा भी सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें हिंदी साहित्य सेवा के आलोक में उनकी सराहनीय एवं उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए प्रदान किया गया। इस अवसर पर उन्हें विशेष रूप से सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में उनके सशक्त प्रयासों और पहल के लिए सराहा गया। यह पुरस्कार हिंदी साहित्य और भारतीय संस्कृति के उत्थान में उनके निरंतर और महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देता है।सत्येन्द्र कुमार पाठक ने अपने लेखन और शोध के माध्यम से न केवल हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है, बल्कि भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे जन-जन तक पहुंचाने में भी अहम भूमिका निभाई है। उनका यह सम्मान केवल उनके व्यक्तिगत परिश्रम का फल नहीं, बल्कि बिहार राज्य के लिए भी गर्व का विषय है, जो दर्शाता है कि यह भूमि प्रतिभा और विद्वता से भरी हुई है।
डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव: 'बज्जिका के सोलह संस्कार गीत' के लिए सम्मानित
मुजफ्फरपुर की प्रसिद्ध लेखिका और स्वर्णिम कला केंद्र की अध्यक्षा डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव को भी नवी मुंबई में 'स्वर्ग विभा' द्वारा आयोजित एक भव्य सम्मान समारोह में 'डॉ. तारा सिंह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान 2025' से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह प्रतिष्ठित सम्मान उनकी पुस्तक 'बज्जिका के सोलह संस्कार गीत' के लिए प्रदान किया गया।
नवी मुंबई के क्वीन हेरिटेज संपडा परिसर में आयोजित इस समारोह में, डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए सराहा गया। उनकी पुस्तक 'बज्जिका के सोलह संस्कार गीत' ने साहित्य जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। डॉ. उषाकिरण श्रीवास्तव के इस सम्मान से बिहार और विशेष रूप से मुजफ्फरपुर के साहित्यकारों में हर्ष का माहौल है। विद्या चौधरी और अन्य साहित्यकारों ने उन्हें इस गौरवपूर्ण उपलब्धि पर हार्दिक बधाई दी है। यह सम्मान मुजफ्फरपुर के साथ-साथ बज्जिका साहित्य के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।ये राष्ट्रीय सम्मान इन साहित्यकारों के दशकों के समर्पण और उत्कृष्ट कार्य को मान्यता देते हैं, और साथ ही युवा पीढ़ी को साहित्य और शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
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