प्रेम का एहसास
किताबों के पन्ने तो सब उलटते रहते हैं,पर पढ़ता और पढ़कर समझता कौन है।
दिल में उतरने की ख्वाहिश तो सबको है,
पर किसी के दिल को सही से समझता कौन है।।
प्रेम शब्द रटाने से , तो तोता भी प्रेम रटता है ,
पर पिंजरे का तोता क्या जाने, प्रेम होता क्या है।
प्रेम की अनुभूति जिसने दिल से है जान लिया,
वह बेचारा क्या जाने, नींद और चैन होता क्या है।।
प्रेम बगिया में उगा हुआ ऐसा कोई फूल नहीं है,
जिसे दिल में आया फिर तोड़ा, सूंघा और फेंक दिया।
प्रेम हृदय में उठता हुआ वह भाव और एहसास है,
जिसे संसार ने, श्री कृष्ण राधे के रूप में है देख लिया।।
जय प्रकाश कुवंर
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