किसान , कृषक , हलधर
किसान है कि शान है ,या राष्ट्र का ये मान है ।
कृषक जगपालनहार ,
हमें इसका भान है ।।
तन औ मन समर्पित ,
जगजीवन कल्याण में ।
थोड़ा भी चुकता नहीं ,
राष्ट्र के इस अरमान में ।।
राष्ट्रध्वज भी लहराता ,
किसानों के सम्मान में ।
कृषक चार चाॅंद लगाए ,
राष्ट्रगीत व राष्ट्रगान में ।।
तन ढंग का वस्त्र नहीं ,
कृषक गुणों के खान हैं ।
भोजन का समय नहीं ,
हमारे कृषक महान हैं ।।
किसान जवान विज्ञान ,
तीनों भारतीय शान हैं ।
राष्ट्र विश्वगुरु बनानेवाला ,
भारतीय निश्छल ज्ञान है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com