हृदय श्रोत बहता रहे,प्रेम सलिल से पूर्ण
दिव्य भव्य प्रत्याशा लहरें,अंतःकरण श्रृंगार परम ध्येय ।
अभिलाषाएं कर्म उन्मुख,
स्वप्निल आभा साकार अजेय ।
आशा उत्साह उमंग संग,
संघर्ष बाधा चिंताएं चूर्ण ।
हृदय श्रोत बहता रहे,प्रेम सलिल से पूर्ण ।।
अहम निज चिंतन संधान,
नैतिक उत्थान पथ प्रशस्त ।
वैचारिकी ओज सकारात्मक,
क्रोध वैमनस्य नैराश्य अस्त ।
आत्मसात मृदुल मधुर बिंदु,
भावना तरंगिणी सदैव तूर्ण।
हृदय श्रोत बहता रहे,प्रेम सलिल से पूर्ण ।।
पुनीत पावन भोर दर्शन,
नव जीवन उपमा पर्याय ।
प्रदत्त मुस्कान हर मुखमंडल,
कामना शुभ मंगल अध्याय ।
मान सम्मान संस्कार मर्यादा,
संबंध अंतर अपनत्व मूर्ण ।
हृदय श्रोत बहता रहे, प्रेम सलिल से पूर्ण ।।
अग्र कदम परहित सेवा काज,
नेह अनुबंधित जीवन पथ ।
सहयोग समर्पण उर ज्योत,
समग्र खुशियां नैतिक शपथ ।
अथक जप तप साधना संग,
मनोकामनाएं सदैव संपूर्ण ।
हृदय श्रोत बहता रहे, प्रेम सलिल से पूर्ण ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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