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बासुकीनाथ

बासुकीनाथ

प्यारा माह हुआ बहुत पावन ,
चारों दिशाऍं हुई मनभावन ।
बोल बम गुंजित है नभमंडल ,
शिव के नाम रचा‌ ये सावन ।।
शिव हार बने हैं नाग बासुकी ,
नाग पर टिका पावन है धरा ।
सावन माह शुक्ल तिथि पंचमी ,
नागपंचमी से विख्यात बड़ा ।।
नागपंचमी है नाग बाबा पूजा ,
नाग बाबा की महिमा है प्यारी ।
नाग बाबा हुए हैं हमारे रक्षक ,
हम सब उनके सदा आभारी ।।
नमन नमन यह कोटि उनको ,
जो सदा हमारे बने हैं रक्षक ।
उन्हीं के बल हम सब आश्रित ,
रक्षा करें हमारी बाबा तक्षक ।।
बासुकी नाग जो गले लिपटाए ,
संग बासुकीनाथ को नमन है ।
बाबा बासुकीनाथ भारी महिमा ,
जिनसे जीवन अमन चमन है ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
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