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सावन अति मनभावन

सावन अति मनभावन 

सृष्टि रज रज रग रग अंतर,
हर हर महादेव परम स्तुति ।
आचार विचार मृदु विमल,
शुद्ध सात्विक भाव प्रस्तुति  ।
जीवन अग्रसर शुचिता पथ,
देह परिमार्जित पावन ।
सावन अति मनभावन  ।।

रिमझिम स्वर मनोरम,
सर्वत्र आनंद बहार ।
प्रबल नव आशा उमंग,
उज्ज्वल भविष्य श्रृंगार ।
मोहक सोहक परिवेश,
संबंध अपनत्व बिछावन ।
सावन अति मनभावन ।।

प्रकृति यौवन अंगड़ाई,
हरित सौंदर्य भरपूर ।
पुलकित जनजीवन,
नैराश्य संकीर्णता दूर ।
खान पान मधुर आस्वादन,
संवाद पटल हास्य कावन ।
सावन अति मनभावन ।।

खेत खलिहान वन उपवन ,
सुख समृद्धि अनूप गीत ।
मुख मंडल मुस्कान अथाह,
हिय पटल शोभित प्रीत ।
व्यवहार पट सदाचार बिंब,
जनमानस आभा धावन ।
सावन अति मनभावन ।।

कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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