समय का फेर
जय प्रकाश कुवंरकुछ बुझाते नइखे,
कइसन जमाना आ गइल।
सब नेकी कइल,
कुंआ में फेंका गइल।।
अपने धोती फटल पहन,
नया सब के पहिनवनी।
धूप में आपन देह जला के,
छांव में सबके बैठवनी।।
वासी रोटी अपने खाके,
ताजा सबके खिअवनी।
अपने रोज मर मर के भी,
सब लोग के जिअवनी।।
बैल जब बुढ़ा भइल तब,
लेहन भुसा ओरा गइल।
नाथ पगहा काट के,
बेलावे के दिन आ गइल।।
नीमन बेयार जब बहे लागल,
सब केहू भंगुआ गइल।
घर भर के लोग के हिस्सा,
कुछ ही आदमी खा गइल।।
कुछ बुझाते नइखे,
कइसन जमाना आ गइल।।
सब नेकी कइल,
कुंआ में फेंका गइल।।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag
0 टिप्पणियाँ
दिव्य रश्मि की खबरों को प्राप्त करने के लिए हमारे खबरों को लाइक ओर पोर्टल को सब्सक्राइब करना ना भूले| दिव्य रश्मि समाचार यूट्यूब पर हमारे चैनल Divya Rashmi News को लाईक करें |
खबरों के लिए एवं जुड़ने के लिए सम्पर्क करें contact@divyarashmi.com