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बिहार मतदाता सूची में बड़ा खुलासा – 18 लाख मृत मतदाता, 26 लाख स्थानांतरित

बिहार मतदाता सूची में बड़ा खुलासा – 18 लाख मृत मतदाता, 26 लाख स्थानांतरित

  • बिहार में मतदाता सूची पर संकट: SIR जांच में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा
पटना, 22 जुलाई 2025।
बिहार में मतदाता सूची की सटीकता को लेकर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा की जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में राज्य के मतदाता डेटा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। आयोग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 18 लाख मृत मतदाताओं के नाम सूची में दर्ज पाए गए हैं, जबकि 26 लाख लोग अन्य विधानसभा क्षेत्रों में स्थानांतरित हो चुके हैं। इसके अलावा, 7 लाख मतदाता ऐसे पाए गए हैं जिनके नाम दो अलग-अलग जगहों पर दर्ज हैं। यह खुलासा न केवल मतदाता सूची की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि आगामी चुनावों की निष्पक्षता को भी प्रभावित कर सकता है।
भारत निर्वाचन आयोग के उप-निदेशक पी. पर्ण ने 22 जुलाई को जारी प्रेस नोट में कहा कि बिहार में मतदाता सूची के अद्यतन कार्य को पूरी गंभीरता से किया जा रहा है। आयोग का लक्ष्य है कि 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में कोई त्रुटि न रहे। इसके लिए राज्य के सभी 12 प्रमुख राजनीतिक दलों के जिला अध्यक्षों द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि, बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर), वॉलंटियर्स और बीएलए मिलकर काम कर रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 24 जून 2025 तक बिहार में कुल मतदाताओं की संख्या 7,89,69,844 है। इनमें से 7,16,04,102 गणना फॉर्म प्राप्त हुए हैं, जो कुल आंकड़े का 90.67% है। इनमें से 7,13,65,460 फॉर्म डिजिटाइज कर लिए गए हैं।
महत्वपूर्ण आंकड़े:

  • मृत मतदाता: 18,66,869 (2.36%)
  • स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाता: 26,01,031 (3.29%)
  • दो स्थानों पर नामांकित मतदाता: 7,50,742 (0.95%)
  • जिनका पता उपलब्ध नहीं: 11,484 (0.01%)
  • अनुपस्थित पाए गए कुल मतदाता: 52,30,126 (6.62%)

इस जांच के बाद 7,68,34,228 मतदाताओं को मान्य सूची में सम्मिलित किया गया है, जो कुल संख्या का 97.30% है। बाकी 2.70% मतदाताओं (21,35,616) की जानकारी अभी भी लंबित है।

आगामी प्रक्रिया और जनसहभागिता

निर्वाचन आयोग ने जनता से आग्रह किया है कि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक आम लोग ड्राफ्ट मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए आवेदन कर सकते हैं। यह प्रक्रिया ऑनलाइन पोर्टल और संबंधित ईआरओ कार्यालयों के माध्यम से पूरी की जा सकती है।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि इस बार मतदाता सूची को पूरी तरह से साफ-सुथरा और सटीक बनाने के लिए सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों, राजनीतिक दलों और स्थानीय कार्यकर्ताओं की सामूहिक जिम्मेदारी तय की गई है।
राजनीतिक असर और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह खुलासा आने वाले विधानसभा चुनावों पर व्यापक असर डाल सकता है। अगर 18 लाख मृत मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में बने रहते, तो चुनाव परिणामों पर संदेह की स्थिति उत्पन्न हो सकती थी।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चुनावी प्रक्रिया में गड़बड़ी का सबसे बड़ा कारण समय-समय पर सूची का अद्यतन न होना है। चुनावी विशेषज्ञ संजय कुमार का कहना है,
“मतदाता सूची का शुद्धिकरण चुनाव की निष्पक्षता की पहली शर्त है। बिहार में जो आंकड़े सामने आए हैं, वे चिंताजनक हैं, लेकिन आयोग का सक्रिय रुख यह दर्शाता है कि स्थिति को सुधारने के प्रयास जारी हैं।”
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों दोनों ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है। विपक्ष ने सवाल उठाया है कि अगर SIR प्रक्रिया समय पर और सही ढंग से नहीं होती, तो आगामी चुनाव में बड़ी धांधली की आशंका रहेगी। वहीं, सत्तारूढ़ दल ने आयोग के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि मतदाता सूची को सही करने से चुनाव और भी पारदर्शी होंगे।
जनता के लिए जागरूकता अभियान
निर्वाचन आयोग और प्रशासन मतदाताओं से अपील कर रहे हैं कि वे अपने नाम, पते और विवरण को समय रहते सत्यापित करें। इसके लिए “मतदाता जागरूकता अभियान” चलाया जा रहा है। हर पंचायत स्तर पर बीएलओ और वॉलंटियर्स घर-घर जाकर मतदाता सूची का मिलान कर रहे हैं।
बिहार में मतदाता सूची की गड़बड़ी का यह मामला लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है। चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता तभी बनी रह सकती है जब मतदाता सूची पूरी तरह सटीक हो। आयोग का प्रयास सराहनीय है, लेकिन इसमें जनसहभागिता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। आम जनता को चाहिए कि वे समय रहते अपने नाम की पुष्टि करें और किसी भी त्रुटि की सूचना तुरंत दें।
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