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गौ माता,सनातन संस्कृति का मूल आधार

गौ माता,सनातन संस्कृति का मूल आधार

हिय वसित संपूर्ण देवलोक,
समुद्र मंथन अनमोल रत्न ।
पुलकित प्रफुल्लित जीवन,
कर तत्पर परिचर्या प्रयत्न ।
पुनीत पावन दर्शन अनुपमा,
असीम सुख समृद्धि अपार ।
गौ माता,सनातन संस्कृति का मूल आधार।।


सींग शोभा महादेव शंकर ,
उदर शिव सुत कार्तिकेय ।
मस्तक ब्रह्मा ललाट रुद्र,
सींग अग्र इंद्र देव अजेय ।
अश्वनीकुमार विराजित कर्ण,
नयनन सूर्य चंद्र ज्योति विसार ।
गौ माता,सनातन संस्कृति का मूल आधार ।।


दंतस्थ गरुड़ जिह्वा शारदे ,
तैंतीस कोटि दैवीय आगार ।
श्री कृष्ण गौ अति स्नेहिल,
पदमा संग अलौकिक श्रृंगार ।
हिंद संस्कृति संस्कार प्रेरणा,
घर देहरी शुभ मंगल सदाबहार ।
गौ माता,सनातन संस्कृति का मूल आधार ।।


समग्र नागरिक नैतिक धर्म,
गाय माता सेवा दृढ़ संकल्प ।
परिवेश उत्संग संचेतना प्रसार,
गऊ साध्य माध्य काया कल्प ।
तन मन धन योगदान अहम,
राज पटल शीर्ष प्रतिष्ठा निखार ।
गौ माता, सनातन संस्कृति का मूल आधार ।।


कुमार महेन्द्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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