समस्त माताओं बहनों एवं बंधुओं को सपरिवार अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक बधाई एवं बहुत बहुत शुभकामनाऍं । योग दिवस के उपलक्ष्य में एक छोटी सी रचना का सादर प्रयास :
तन का गुरु योग
तन का गुरु योग है ,स्वास्थ्य योगाशीष ।
आयु भी दीर्घायु हो ,
मिले तब बख्शीश ।।
बिन श्रम रोग होत ,
तन हो आधी पौन ।
तन तू निज साध ले ,
मन कर ले तू मौन ।।
साधना व आराधना ,
योग रूप होते क्रम ।
या तो योग तू कर ले ,
या कर ले तू श्रम ।।
योग में होते छ: योग ,
जीवन में इसे उतार ।
हठ राज कर्म ज्ञान ,
भक्ति से स्वस्थ संसार ।।
साधना संग आराधना ,
तन संग मन ये बाॅंधना ।
योग भरे जोश तन में ,
योग जीवन तराशना ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )बिहार ।
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