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योग भारत की समृद्ध पारंपरिक पहचान

(विश्व योग दिवस __21 जून,2025)

योग भारत की समृद्ध पारंपरिक पहचान

शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य मंत्र,
पुरात्तन भारतीय विज्ञान कला ।
तन मन सदैव मस्त मलंग ,
उरस्थ सकारात्मक ओज पला ।
सुख समृद्धि वैभव अनूप द्वार ,
आशा उत्साह उमंग जोश संधान ।
योग भारत की समृद्ध पारंपरिक पहचान ।।


निज सह सामाजिक आरोग्यता,
योग साधना सरल सरस सेतु ।
एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य हित योग,
विश्व कल्याण मानवता उत्थान हेतु ।
चुस्ती फुर्ती भावनात्मक एकता,
बौद्धिक तीक्ष्णता मंगल आह्वान ।
योग भारत की समृद्ध पारंपरिक पहचान ।।


लोकमानस समरसता दर्शन ,
व्यवहार अंतर अपनत्व अथाह ।
क्रोध वैमनस्य मूल विलोपन,
जीवन शैली सात्विकता प्रवाह ।
भव सागर पार निमित्त माध्य ,
समस्या सहज त्वरित समाधान ।
योग भारत की समृद्ध पारंपरिक पहचान ।।


वर्तमान भौतिक चकाचौंध पटल,
योग साधना महत्ती भूमिका ।
अंकुश अवांछित आचार विचार ,
व्यक्तित्व निर्माण नैतिक तूलिका ।
जीवन प्रति पल आनंद जन्य ,
अंतर्मन आरूढ़ आराध्यता सम्मान ।
योग भारत की समृद्ध पारंपरिक पहचान ।।


कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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