"अंतरराष्ट्रीय योग दिवस"
यह केवल व्यायाम नहीं,एक जीवन-पथ है योग।
सदियों पहले हिमालय की शांति में
जिन ऋषियों ने साधा था स्वयं को,
वहीं से उठी थी यह मौन साधना—
आज वह गूंज बन चुकी है
हर महाद्वीप की सुबह में।
किसी आसन में थमे हुए क्षण
मन के तूफ़ानों को शांत कर देते हैं,
एक साँस भीतर जाती है,
और भीतर की उलझनों को सुलझा देती है।
अब ये सीमाओं में नहीं बँधा,
न ही किसी जाति, धर्म या देश का बंधक है।
हर रंग, हर भाषा के लोग
योग की शरण में आ रहे हैं—
स्वास्थ्य पाने,
संतुलन समझने,
और अपने भीतर उतरने।
प्रसिद्ध चेहरे,
लोकप्रिय हस्तियाँ—
जो कभी चमकते मंचों पर थक जाया करते थे,
अब योग-मत में विश्रांति पाते हैं।
क्योंकि योग ने सिखाया है—
खुश रहना
भीतर से,
बिना शोर, बिना दिखावे।
आज योग दिवस है।
पर योग केवल एक दिवस नहीं,
यह तो एक सतत जागृति है
जिसे अपनाने से
मन भी मुस्कुराता है
और तन भी।
. स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
✍️ "कमल की कलम से"✍️ (शब्दों की अस्मिता का अनुष्ठान)
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