Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

"अनुभव की आग में तपता विवेक"

"अनुभव की आग में तपता विवेक"

संलग्न चित्र में उद्धृत वाक्य जीवन की गहन सच्चाई को सरलता से उद्घाटित करता है। मानव जीवन कोई पूर्णतः रचित ग्रंथ नहीं, बल्कि वह एक निरंतर रचना है — जिसमें प्रत्येक पंक्ति अनुभव की कलम से लिखी जाती है। हम सभी जीवन में कभी न कभी ऐसे निर्णय लेते हैं, जो बाद में अनुचित प्रतीत होते हैं। किंतु यही निर्णय हमें अनुभव की अग्निपरीक्षा से गुजराते हैं और हमें आत्मचिंतन, आत्मबोध तथा परिपक्वता प्रदान करते हैं।


प्रत्येक भूल एक अध्यापक है — वह सिखाती है कि आगे कैसे बढ़ा जाए, कहाँ रुकना है, किन राहों से बचना है। यदि हम अपनी त्रुटियों पर केवल पछताते रहें, तो हम उस सीख को गंवा बैठते हैं, जो जीवन हमें देना चाहता है। इसलिए आवश्यक है कि हम अपनी भूलों को स्वीकारें, उन्हें सीख में परिवर्तित करें और आत्मविकास की दिशा में कदम बढ़ाएँ।


सच्चा आत्मबोध वही है जो विगत की छाया में वर्तमान को प्रकाशित करता है। जीवन की इस यात्रा में आत्मनिरीक्षण और निरंतर सुधार ही वह दीपक है, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। अतः अपने अनुभवों को बोझ न मानें, बल्कि उन्हें पूँजी समझें — जो आपको एक बेहतर निर्णयकर्ता, एक परिपक्व व्यक्ति और अंततः एक आत्मज्ञानी मानव बना सकती है।


इसलिए — पछताओ नहीं, अनुभव को अंगीकार करो, और आत्मबोध की ओर अग्रसर हो। यही जीवन का सार है।


. "सनातन"
(एक सोच , प्रेरणा और संस्कार) 
 पंकज शर्मा (कमल सनातनी)
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ