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गया में महिलाओं ने वट सावित्री व्रत पर बट वृक्ष की पूजा कर पति की दीर्घायु की कामना की

गया में महिलाओं ने वट सावित्री व्रत पर बट वृक्ष की पूजा कर पति की दीर्घायु की कामना की

  • स्थानीय डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोल बगीचा में श्रद्धा और आस्था का दृश्य

गया, 26 मई 2025:आज वट सावित्री व्रत के पावन अवसर पर गया के डॉक्टर विवेकानंद पथ, गोल बगीचा स्थित प्राचीन बट वृक्ष के नीचे सौभाग्यवती महिलाओं ने परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ पूजा-अर्चना की। महिलाओं ने अपने पति के दीर्घायु, सौभाग्य, सुख-संपत्ति और संतति की कामना करते हुए श्रद्धापूर्वक व्रत रखा और विधिवत वट वृक्ष की पूजा की।

सुबह से ही व्रतधारी महिलाएं पारंपरिक परिधान में सजधज कर पूजा स्थल पर एकत्रित होने लगीं। उन्होंने पहले व्रक्ष की परिक्रमा की, फिर जल, फल, फूल, अक्षत, रोली, मौली, दूध, सूत, मिठाई आदि अर्पित कर बट वृक्ष की पूजा की। इसके बाद वट वृक्ष के तने में रक्षा सूत्र (मौली) बांधकर अपने पति की लंबी उम्र और गृहस्थ जीवन की सुख-शांति के लिए प्रार्थना की।

पूजन के उपरांत व्रतधारियों ने सावित्री-सत्यवान की कथा सुनी, जिसमें पौराणिक मान्यता के अनुसार सावित्री ने अपने तप, श्रद्धा और संकल्प से अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस पाया था। यह कथा पति-पत्नी के बीच निष्ठा, प्रेम और बलिदान का प्रतीक मानी जाती है।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से स्नेहा मिश्रा, अनुपम मिश्रा, सीता देवी, पूजा कुमारी, मालती देवी, गीता चंद्रवंशी, सोनी कुमारी, सुनीता देवी, संगीता देवी सहित दर्जनों महिलाओं ने व्रत रखकर विधिवत पूजा-अर्चना की और अपने पति के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया।

व्रतधारी महिलाओं ने बताया कि यह पर्व नारी शक्ति के आत्मबल, श्रद्धा और परिवार के प्रति समर्पण का प्रतीक है। बट वृक्ष को दीर्घायु और अक्षय पुण्य प्रदान करने वाला माना गया है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

पूरे आयोजन में एक अद्भुत आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वातावरण देखने को मिला। महिलाएं पूरे अनुशासन और पारंपरिक विधि के अनुसार व्रत की मर्यादा में रहीं। पूजा के बाद सभी महिलाओं ने एक-दूसरे को व्रत की बधाई दी और फलाहार किया।

यह पर्व गया शहर में सांस्कृतिक और धार्मिक जागरूकता का प्रतीक बनता जा रहा है, जहाँ परंपरा और आस्था की भावना लोगों को एकजुट करती है।
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