Advertisment1

यह एक धर्मिक और राष्ट्रवादी पत्रिका है जो पाठको के आपसी सहयोग के द्वारा प्रकाशित किया जाता है अपना सहयोग हमारे इस खाते में जमा करने का कष्ट करें | आप का छोटा सहयोग भी हमारे लिए लाखों के बराबर होगा |

जाने कब छोड़कर चल दे कोई जरा सी बात पर

जाने कब छोड़कर चल दे कोई जरा सी बात पर

जाने क्यूॅं होता भ्रम मुझे ,
पहली ही मुलाकात पर ।
जाने कब छोड़कर चल दे ,
कोई जरा सी बात पर ।।
हुआ प्रेमी मैं तो उसी का ,
जिसका कायल हुआ हूॅं ।
देख लो दशा दुर्दशा कैसी ,
उसी से मैं घायल हुआ हूॅं ।।
दिल चुराया उसने मेरी ,
अपना दिल ले चली गई ।
पता न अजनबी होगी वो ,
मेरे बगल जन्मी पली भई ।।
थाने रपट लिखाऊॅं कैसे ,
खतादार का है पता नहीं ।
पता मिल भी जाए शायद ,
किंतु कहे मेरी खता नहीं ।।
धन दौलत सब यहीं मेरा ,
मैं भी तो पड़ा यहीं पे हूॅं ।
कैसे लिखाऊॅं थाने रपट ,
तन छोड़कर मैं वहीं पे हूॅं ।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
छपरा ( सारण )बिहार ।
हमारे खबरों को शेयर करना न भूलें| हमारे यूटूब चैनल से अवश्य जुड़ें https://www.youtube.com/divyarashminews #Divya Rashmi News, #दिव्य रश्मि न्यूज़ https://www.facebook.com/divyarashmimag

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ