साड़ी, नारी का निरुपम श्रृंगार
हिंद संस्कृति नारी जगत,देवी तुल्य परम छवि ।
सुसंस्कार मर्यादा वाहिनी,
परंपरा वंदन अनुपम नवि ।
सदियों सह दिव्य शोभना,
परिवार समाज राष्ट्र पहचान साकार।
साड़ी,नारी का निरुपम श्रृंगार ।।
यजुर्वेद ऋग्वेद संहिता उल्लेख ,
साड़ी अंतर मांगलिक महत्ता ।
यज्ञ हवन व्रत उपासना काज,
सशक्त धर्म आस्था सत्ता ।
वासस अधिवासस वैदिक उपमा,
वरिष्ठ मान सम्मान स्नेहिल आधार ।
साड़ी,नारी का निरुपम श्रृंगार ।।
आकार प्रकार शैली सुंदरता,
भोगौलिक रीति अहम बिंदु ।
रूचि अभिरुचि प्रधान घटक,
पारिवारिक मूल्य पैहम सिंधु ।
आत्मविश्वास सहज आरामदायी,
अभिवृद्धि गरिमा शील शान अपार।
साड़ी,नारी का निरुपम श्रृंगार ।।
कांजीवरम बनारसी मधुबनी,
पटोला नौवारी मूंगा रशम चंदेरी ।
गठोड़ा तसर बालूछरी कांथा ,
रशमी हकोबा बंधेज लहरिया महेश्वरी ।
लोक रंग विविधा संज्ञा संबोधन,
परिवेश प्रफुल्लित यौवन सदाबहार ।
साड़ी, नारी का निरुपम श्रृंगार ।।
कुमार महेंद्र
(स्वरचित मौलिक रचना)
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