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गुमशुदा बालकों को संरक्षित करना समाज का कर्तव्य

गुमशुदा बालकों को संरक्षित करना समाज का कर्तव्य 

सत्येन्द्र कुमार पाठक
जहानाबाद । अंतर्राष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस के अवसर पर साहित्यकार और इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने समाज को गुमशुदा और अपहृत बच्चों के प्रति अपने दायित्व का स्मरण कराया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि "बच्चे समाज और राष्ट्र का भविष्य हैं" और उनका संरक्षण व संवर्धन प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। पाठक ने अत्यंत चिंताजनक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में हर आठ मिनट में एक बच्चा लापता हो जाता है, जो देश में बाल सुरक्षा की गंभीर चुनौती को दर्शाता है। अंतर्राष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस, जो प्रतिवर्ष 25 मई को मनाया जाता है, का उद्देश्य गुमशुदा और अपहृत बच्चों के सम्मान में आवाज उठाना और बरामद हुए बच्चों की याद को ताजा करना है। पाठक ने बताया कि जिन बच्चों का अपहरण किया जाता है, उन्हें अक्सर भयावह परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें संगठित अपराध का हिस्सा बनने या कठोर बाल मजदूरी करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिससे उनका बचपन और भविष्य दोनों अंधकारमय हो जाते हैं। पाठक द्वारा प्रस्तुत आंकड़े इस समस्या की विकरालता को उजागर करते हैं। भारत में हर साल अनुमानित 1 लाख बच्चे लापता हो जाते हैं, जिनमें से एक चौंकाने वाला 45 प्रतिशत कभी नहीं मिल पाता। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के 2014 के आंकड़ों के अनुसार, नाबालिग लड़कियों की तस्करी में पश्चिम बंगाल की हिस्सेदारी 42 प्रतिशत है, जो इस क्षेत्र में तस्करी के बढ़ते खतरे को रेखांकित करती है। गैर-सरकारी संगठन क्राई की रिपोर्ट के अनुसार, देश भर में लापता और गुमशुदा बच्चों की संख्या में 2013 और 2015 के बीच लगभग 84 प्रतिशत की भारी वृद्धि दर्ज की गई है, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। 2011 से 2014 के बीच 3.25 लाख बच्चे लापता हुए, जिनमें से लगभग 2 लाख लड़कियां थीं। यह आंकड़ा दर्शाता है कि बच्चियां विशेष रूप से इस खतरे की चपेट में हैं, जो उन्हें तस्करी, शोषण और अन्य जघन्य अपराधों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है। अंतर्राष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस का इतिहास 1983 से जुड़ा है, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस की घोषणा की थी। वैश्विक स्तर पर इसे पहली बार 2001 में इंटरनेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन यूरोपीय आयोग और मिसिंग चिल्ड्रन यूरोप के संयुक्त प्रयासों से मनाया गया था। बाल अपहरण की वैश्विक समस्या से निपटने में ग्लोबल मिसिंग चिल्ड्रन नेटवर्क एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन के बीच एक संयुक्त उद्यम, 22 देशों का एक समूह है। 1998 में लॉन्च किया गया यह नेटवर्क ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्राजील, कनाडा, जर्मनी, ग्रीस, आयरलैंड, इटली, रूस और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों को शामिल करता है। GMCN का उद्देश्य लापता बच्चों की जानकारी और छवियों को साझा करके जांच की प्रभावशीलता में सुधार करना और उनकी शीघ्र वापसी सुनिश्चित करना है। बाल अपहरण की वैश्विक समस्या के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। यह माता-पिता को अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की याद दिलाता है, जिसमें बच्चों को जोखिमों के बारे में शिक्षित करना और उनकी सुरक्षा के लिए सक्रिय उपाय करना शामिल है। सत्येन्द्र कुमार पाठक ने इस बात पर जोर दिया कि गुमशुदा बच्चों की समस्या से निपटने के लिए समाज के हर वर्ग को एकजुट होकर काम करना होगा। इसमें सरकारी एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों, परिवारों और समुदायों के बीच समन्वय और सहयोग बढ़ाना शामिल है। बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना एक स्वस्थ और मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है। अंतर्राष्ट्रीय गुमशुदा बाल दिवस हमें इस गंभीर मुद्दे पर चिंतन करने और लापता बच्चों को वापस लाने तथा भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित रखने के अपने सामूहिक संकल्प को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है।
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